Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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कार्य-संपूति प्रस्तुत आगम के पाठ-शोधन में लगभग सवा वर्ष लगा। इसमें अनेक मुनियों का योग रहा। उन सबको मैं आशीर्वाद देता हूँ कि उनकी कार्यजा शक्ति और अधिक विकसित हो।
इसके सम्पादन का बहुत कुछ श्रेय शिष्य मुनि नथमल को है, क्योंकि इस कार्य में अहनिश वे जिस मनोयोग से लगे हैं, उसी से यह कार्य सम्पन्न हो सका है। अन्यथा यह गुरतर कार्य बड़ा दुरूह होता। इनकी वृत्ति मूलतः योगनिष्ठ होने से मन की एकाग्रता सहज बनी रहती है । सहज ही आगम का कार्य करते-करते अन्तर्रहस्य पकड़ने में इनकी मेधा काफी पनी हो गई है। विनयशीलता श्रम-परायणता और गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण भाव ने इनकी प्रगति में बड़ा सहयोग दिया है। यह वृत्ति इनकी बचपन से ही है। जब से मेरे पास आए, मैंने इनकी इस वृत्ति में क्रमशः वर्धमग्नता हो पाई है । इनको कार्य-क्षमता और कर्तव्य-परता ने मुझे बहुत संतोष दिया है।
मैंने अपने संघ के ऐसे शिष्य साधु-साध्वियों के बल-बूते पर ही आगम के इस गुरुतर कार्य को उठाया है। अब मुझे विश्वास हो गया है कि मेरे शिष्य साधु-सास्वियों के निस्वार्थ, विनीत एवं समर्पणात्मक सहयोग से इस वृहत् कार्य को असाधारण रूप से सम्पन्न कर सकूँगा।
भगवान् महावीर की पचीसवीं निर्वाण शताब्दी के अवसर पर उनकी वाणी का सबसे बड़ा संकलन-ग्रन्थ जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हए मुझे अनिर्वचनीय आनन्द का अनुभव हो रहा है।
अणुव्रत विहार नई दिल्ली २५००वां निर्वाण दिवस
आचार्य तुलसी
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