Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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॥श्रीभगवती सूत्रं ॥
भाग-२ 'जंबुद्दीवे १ जोइस २ अंतरदीवा ३० असोच्च ३१ गंगेय ३२ कुंडग्गामे ३३ पुरिस ३४ नवभमि सयंमि चउत्तीसा ॥६०॥ तेणं कालेणं० मिहिलानाभ नगरी होत्था, वनओ, माण(प्र० मेघ)भद्दे चेहए, वत्रओ, साभी सभोसढे परिसा निग्गया जाव भगवं गोयमे पज्जुवासमाणे एवं व्यासी कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे ?, किंसंठिए णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे ?, एवं जंबुद्दीवपन्नत्तीभापियवा जाव एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे २ चोइस सलिला सयसहस्सा छप्पन्नं च सहस्सा भवंतीतिमक्खाया (जहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए तहाणेयव्यं|| जोइसविहूणं जाव खंडा जोयणवासा पव्व्य कूडा य तित्थ सेढीओ।विजय हह सलिलाओ य पिंडए होति संगहणी ॥१॥पा०)। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति । ३६०॥श०९३०१॥
रायगिहे जाव एवं व्यासी जम्बुद्दीवेणं भंते ! केवइया चंदा पभासिंसु वा पभासेंति वा पभासिस्संति वा ?, एवं जहा जीवाभिगमे जाव - 'एगं च सयसहस्सं तेत्तीसं खलु भवे सहस्साई । नव य सया पत्रासा तारागणकोडिकोडीणं ॥६१॥ सोभिंसु वा सोभिंति वा ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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