Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobetirth.org
Acharya Shri Kailassa garsuri Gyanmandir
खओवसमे भाणियब्वे एवं केवलं भणपज्जवनाणं उप्याडेजा, नवरं मणपज्जवणाणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे भाणियब्वे, असोच्चा णं भंते ! केवलिस वा जाव तप्पक्खियउवासिया। वा केवलनाणं उप्याडेजा ?, एवं चेव नवरं केवलनाणावरणिजाणं कम्माणं खए भाणियव्ये, सेसंतं चेव, से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव केवलनाणं उप्याडेजा, असोच्चा गंभंते ! केवलिस वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपनत्तं धम्मलभेजा सवणयाए केवलंबोहिं बुझेजा केवलं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वएना केवलंबंभचेवासं आवसेजा केवलेणं संजमेणं संजमेजा केवलेणं संवरेणं संवरेजा केवलं आभिणिबोहियनाणं उप्याडेजा जाव केवलं मणपज्जवनाणं उप्याडेजा केवलनाणं उप्याडेजा ?, गोयमा ! असोच्चाणं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा अत्थेगतिए केवलिपनत्तं धमलभेज्जासवणयाए अत्थेगतिए केवलिपनत्तं धम्म नो लभेजा सवणयाए अत्थेगतिए केवलंबोहिं बुझेजा अत्थेगतिए केवलं बोहिं णो बुझेजा अत्थेगतिए केवलं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वएज्जा अत्थेगतिए जाव नो पव्वएना अत्थेगतिए केवलंबंभचेरवासं आवसेजा अत्थेगतिए केवलं बंभचेरवासं नो आवसेज्जा अत्थेगतिए केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा अत्थेगतिए केवलेणं संजमेणं नो संजभेजा, एवं संवरेणवि, अत्थेगतिए केवलं आभिणिबोहियनाणं उप्याडेजा अत्थेगतिए जाव नो उप्पाडेजा, एवं जाव भणपज्जवनाणं, अत्थेगतिए केवलनाणं उप्पाडेजा अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेजा, सेकेणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ असोच्चाणं तं चेव जाव अत्यंगतिए केवलनाणं नो उप्याडेज्जा ?, गोयमा ! जस्स णं नाणावरणिजाणं कमाणं खओवसमे नो कडे | | ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 ... 283