Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया।६। तेणं कालेणं तेणं सभएणंसमणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूती नाम अणगारे || गोयमसगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए बजरिसहनारायसंघयणे कणगपुलगणियसपम्हगोरे उगतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे ओराले धोरे धोरगुणे धोरतवस्सी धोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे (सरीर संनिविउलतेफोसे चोद्दसपुची चनाणोवगए सव्वक्वरसत्रिवाई समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामते उड्ढंजाणू अहोसि झागकोद्वावगए संजमेणं तवसा अयाणं भावेमाणे विहर३।७।तए fसे भगवं गोयमे जायसढे जायसंसए जायकोउहले उपसह उपसंसए उम्पत्रको हल्ले संजायसड्ढे संजायसंसए संजायकोउहल्ले | समुप्पनसड्ढे समुपत्रसंसए समुपत्रकोउहल्ले उडाए उद्वेइत्ता जेणेव समणे भगवं महावीर तेणेव उवागच्छद त्ता समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण पयाहिणं करे३ त्ता वंदइ नमसइ ता णच्यासन्ने गाउदूरे सुसूस्समाणे णमंसमाणे अभिभुहे विणणं पंजलिउडे | पज्जुवासमाणे एवं क्यासी से नूणं भंते! चलमाणे चलिए उदीरिज्जमाणे उदीरिए वेइज्जमाणे वेइए पहिज्जमाणे पहीणे छिजमाणे छित्रे भिजमाणे भिन्ने डझमाणे दड्ढे भिज्जमाणे भए निजरिजमाणे निजिने?, हंता गोयमा! चलमाणे चलिए जाव णिजरिजमाणे | णिजिण्णे । ८। एए णं भंते! नव पया किं एगट्ठा णाणाधोसा नाणावंजणा उदाहु नाणहा नाणाघोसा नाणावंजणा?, गोयमा! चलमाणे चलिए उदीरिजमाणे उदीरिए वेइज्जमाणे वेइएपहिज्जमाणे पहीणे, ते एएणं चत्तारि पया एगवा नाणाधोसा नाणावंजणा उपनपक्खस्स छिज्जमाणे छिन्ने भिज्जमाणे भित्रे डझमाणे दड्ढे मिज्जमाणे मडे निजरिजमाणे निजिण्णे, एए णं पंच पयाणाणाहर । ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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