Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 124
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||वा वणदुग्गाणि वा पव्वयाणि वा पव्वयदुग्गाणि वा अन्न० ॥ अहा० त० गामाणि वा नगराणि वा निगमाणि वा रायहाणाणि वा| आसमपट्टसंनिवेसाणि वा अन्न तह० नो अभि० ॥ से भि० अहावे० आरामाणि वा उजाणाणि वा वणाणि वा वणसंडाणि वा देवकुलाणि वा सभाणि वा पवाणिवा अत्य० तहा० सद्दाई नो अभि० ॥से भि० अहावे. अट्टाणि वा अथालयाणिवा चरियाणि वा दाराणि वा गोपुराणि वा अन० तह० सद्दाई नो अभि० ॥से भि० अहावे० तंजहा तियाणिवा चउक्काणिवा चच्चराणि वा चउम्मुहाणि वा अन० तह० सहाई नो अभि० ॥ से भि० अहावे० तंजहा महिसकरणढाणाणि वा वसभक० अस्सक० हथिक० जाव कविंजलकरणहा० अन्न तह० नो अभि० ॥से भि० अहावे० तंजहा०महिसजुद्धाणि वा जाव कविंजलजु० अन्न तह० नो अभि०॥ से भि० अहावे० तं० जूहियठाणाणि वा हयजू० गयजू० अन्न तह० नो अभि०३९२ से भि० जाव सुणेइ, तंजहा अक्खाइयठाणाणि वा माणुम्माणियहाणाणि वा महताऽऽहयनट्टगीयवाइयतंतीतलतालतुडियपडुम्यवाइयट्ठाणाणि वा अन्न तह० सहाई नो अभिसं० ॥से भि० जाव सुणेइ, तं० कलहाणि वा डिंबाणिवा डमराणि वा दोरजाणिवा वे२० विरुद्धर० अन० तह० सहाई नो० ॥से भि० जाव सुणेइ खुड्डियं दारियं परिभुत्तमंडियं अलंकियं निवुझमाणिं पेहए एगंवा पुरिसं वहाए नीणिजमाणं पेहए अन्नयराणि वा तह० नो) अभि० ॥से भि० अन्नयराई विरूव० महासवाई एवं जाणेज्जा तंजहा बहुसगडाणिवा बहुरहाणि वा बहुमिलक्खूणि वा बहुपच्चंताणि वा अन तह० विरूव० महासवाई कन्नसोयपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए ॥ से भि० अन्नयराई विरूव० महस्सवाइं एवं | ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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