Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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अणुग्गहियंसि एतावताअणुग्गहणसीले अदिन ओगिहिज्जा, निग्गंथे णं उगहं उग्गहियंसि एतावतावउगहणसीलए (प्र० सिय)त्ति तच्चा भावणा ३ । अहावरा चउत्था भावणा निग्गंथे णं उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ उगहणसीलए सिया, केवली बूया निगंथेणं उग्गहंसि० अभिक्खणं २ अणुग्गहणसीले अदिन गिहिज्जा, निग्गंथे उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलएत्ति चउत्था भावणा ४ ।अहावरा पंचमा भावणा अणुवीइमिउग्गहजाई से निग्गंथे साहम्मिएसु, नो अणणुवीइमिउगह जाई, केवली बूया अणणुवीइ मिउगहजाई से निगंथे साहम्मिएसु अदिन्नं उग्गिहिज्जा, अणुवीइमिउगहजाई से निगंथे साहम्मिएसु नो अणणुवीइमिउग्गहजाती, इइ पंचमा भावणा ५, एतावया तच्चे महव्वए सम्मं जाव आणाए आराहिए यावि भवइ, तच्चं भंते ! महव्व्यं० ॥ अहावरं चउत्थं महव्व्य पच्चक्खामि सव्वं मेहुणं, से दिव्वं वा माणुस्संवा तिरिक्खजोणियं वा नेव सयं मेहणं गच्छेजा तं चेवं अदिनादाणवत्तव्वया भाणियव्वा जाव वोसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति, तत्थिमा पढमा भावणा नो निग्गंथे अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहित्तए सिया, केवली बूया निग्गंथे णं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहेमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलिपनत्ताओ धम्माओ भंसिज्जा, नो निग्गंथे णं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहित्तए सियत्ति पढमा भावणा १ । अहावरा दुच्चा भावणा नो निग्गंथे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोइत्तए निझाइत्तए सिया, केवली बूया निग्गंथे णं इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोएमाणे निझाएमाणे संतिभेया संतविभंगा जावधम्माओ भंसिजा, नो निग्गंते इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोइत्तए | ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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