Book Title: Adwait Dipika Part 01
Author(s): S Subramanya Shastri
Publisher: Sampurnand Sanskrit Vishvavidyalaya

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Page 19
________________ 11? विषयाः पृष्ठाङ्काः अहमाकारा बृत्तिर्न ज्ञानम् अहमर्थप्रकाशोपपत्तिश्च . 108 नित्यानुभवस्यावश्याङ्गीकर्तव्यता बुभुत्सानज्ञानहेनुः 112 ज्ञानाभावस्य केन ग्राह्यता-इति प्रश्नः ज्ञानाभावसाक्षी अहमर्थधमातिरिक्तः साक्षी एषितव्यः घटज्ञानमुत्पन्नं विनष्ट- 118 मित्यनुभव विषयविवेचनम् 116 ज्ञानशब्दार्थद्वविध्येन स्वमतोपपादनम् 121 वृत्तिंशबलचैतन्यं ज्ञानपदार्थः 122 अनुभव एक एवेति स्वमतम् 123 अनुभवत्वजातिनिराकरणम् 125 अनुगतेच्छानिरासः 228 अनुभवस्वरूपनिष्कर्षः अनुभवो गुणः तदाश्रयश्चाहंकारः 130 संविंदः एकत्वनित्यत्वोपपत्तिः 132 अनुव्यवसायस्थानापन्नः साक्षी 134 विशिष्टबुद्धौ विशेषणज्ञानस्य हेतुत्वनिरासः प्रागभावनिरासश्च उत्तेजकत्वनिराकरणम् 138 मण्याद्यभावस्याकारणत्वम् प्रागभावनिरासः 142 धारावाहिकज्ञानभेदे संयोगभेदस्यैव कारणत्वम् 147 गुणाश्रयत्वं न द्रव्यलक्षणम् इति निरूपणम् 148 स्वप्नज्ञानसाक्षित्वेन नित्यानुभवसाधनम् 146 स्वप्नज्ञानं नान्ययाख्यातिः नापि स्मरणम् आत्मरूपं ज्ञानं सविषयं निर्विषयं वा उभयथाप्यभावात् आत्मा ‘न ज्ञानमिति शङ्का 104 मुस्तौ ज्ञानाभावनिरासः 156 अधिष्ठानसत्तातिरिक्तसत्ता नारोपिते-इति सिद्धान्तः प्रर्माऽप्रमाबहिभूतज्ञानसाधनम् भ्रमलक्षणस्य न्यायमते सिद्धस्यानुपपत्तिः 162 संविदात्मनोरभेदेऽनुमानप्रयोगः आत्मना सर्वात्मनः सत्त्वमेव 266 असत उत्पत्तिनिरासः 150 158 160

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