Book Title: Adhyatmavada aur Vigyan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 32
________________ जिन्दगी का फलसफा -डा. सागरमल जैन जिन्दगी ले आई, हम आगये इस जहाँ में, एक दिन मौत ले जायेगी, चले जायेगें इस जहाँ से । न यहाँ आना हमारे हाथ में हैं, और न जाना ही हमारे हाथ में है। आने और जाने में, यहाँ हमारी मर्जी नहीं चलती। फिर भी यारो हताश होने की कोई बात नहीं है, यह पूरी जिन्दगी तो तुम्हारे हाथ में है। जिन्दगी तो एक ताश का खेल है, पत्तों का रोना मत रोओ, हाथ बनाने की कोशीश करते रहो, जिन्दगी का फलसफा यह है, जो गया सो बीत गया वह फिर तुम्हारे हाथ नहीं आना है, आने वाला कल कैसा होगा? यह भी पूरी तरह तुम तय नहीं कर सकते हो, फिर भी निराश होने की कोई बात नहीं, खेल खेलना तो तुम्हारे हाथ में ही है। बीते कल की चिन्ता छोड़ों, वह तुम्हारे हाथ नही आना है। और सुनहले भविष्य की कल्पना भी मिथ्या साबित हो सकती है। जैन अध्यात्मवाद : आधुनिक संदर्भ में : ३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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