Book Title: Acharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Author(s): Uttamchand Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 545
________________ ५१४ । : आचार्य अमृतचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व ३५. पंचास्तिकाय-समयसार : (पद्यानुवादक - पं. हीरानंद) सम्पादक उदयलाल काशलीवाल, प्रकाशक - हिन्दी जैन साहित्य प्रसारक कार्यालय, बम्बर, १६१६ ई. प्रथमावृत्ति । ३६. पंचास्तिकायसार (अंग्रेजी : प्रो. ए चक्रवर्ती, प्रकाशक - दी सेन्ट्रल जैन पब्लिशिंग हाउस, आरा, १६२० ई. प्रथमावृत्ति । ३५. पंचास्तिकायसार प्रग्नजी) : प्रो ए. चत्रावर्ती, प्रकाशक - भारतीय ज्ञानपीठ बनारस, १६७५ ई., द्वितीया वृत्ति । ३८. प्रमेयरत्नमाला : (अनतवीर्य आचार्य कृत टोबा) बच निका पं. जयगद, प्रकाशक-मुनि अनंतकीति ग्रन्थमाला समिति, चम्बई, १८०६ ई. रचनाकाल व नका, प्रथमावृत्ति। ३१. प्रवचनसार (अंग्रेजी) : प्रो. ए. एन. उपाध्ये, प्रकाशक - परमश्रुत प्रभावक मण्डल, श्रीमद् राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला, अगास, १६६४ ई. तृतीयावृत्ति । ४०, प्रवचनसार : तत्त्वप्रदीपिका - तात्पर्य बत्ति टीका यिोगत:) पं. अजित प्रनाद एवं न. रतनचन्द-सम्पादक द्वय प्रकाशक-श्री शांति वीर दि, जं. संस्थान, महाबीर जी. १९६७ ई. । ४१. प्रवचनसार टीका : तीसरा खण्डः, टीकाकार ब. शीतलप्रसाद, प्रकाशक - मूलचंद किशनदास का डिया, सूरत, १६९६ ई. प्रथमावृत्ति । ४२. प्रवचनसार : तित्वप्रदीपिका टीका), अनुवादक-पं. परमेष्ठीदास, प्रकाशक दि. जै स्वा. मं., सोनगढ़, १६:४. द्वितीयावृत्ति । ४३. प्रवचनसार : तत्त्वप्रदीपिका) मनु पं. परमेष्टोदास, प्रकाशक-श्री बी. स. सा. प्र. ट्र. भावनगर, १६७५६. तृतीयावृत्ति । ४४. प्रवचनसार परमागम : कविबर वन्दाबन कृत, संशोधक-नाथूराम प्रेगी, प्रकाशक -- जन हितैषी कार्यालय, बम्बई, १९०८ ई. प्रथमावृनि । प्रवचनसार परमागम : कविवर वृन्दावन कृत, संशोधक नाथूराम प्रेमी, प्रकाशक-ब्र, दुलीचंद जैन ग्रथमाला, सोनगढ़ १८४७ ई. द्वितीयावति । ४६. भगवद्गीता : (डा, राधाकृष्णन्) अनुवादक - विराज एम. ए., राजपाल एण्ड सन्स. काश्मीरी गेट, दिल्ली, १६६६६, चतुर्थावृत्ति ।

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