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[ प्राचार्य अमृतचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व १५१. महाकवि हरीचंद : एक अनुशीलन - डा. पन्नालाल साहित्याचार्य,
भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, दिल्ली, १६७५ ई. प्रथमावृत्ति । १५२. संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान : डा. नेमिचंद
जैन, पारा भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, १९७१, प्रथमावृत्ति । १५३. हिस्ट्री प्राफ जन मोनाकिजम फ्राम इन्सक्रिप्सन्स एण्ड्स लिटरेचर:
(पार्ट वन) डा. एस. बी. देव. बुलेटिन आफ डेक्कन कालेज रिसर्च
इस्टीट्यूट पूना। इतिहास ग्रन्थ :१५४. जैन धर्म का प्राचीन इतिहास : (भाग - २) लेखक - पं. परमानन्द
प्रकाशक - रमेशचन्द्र जैन, मोटरवाले, दिल्ली, १९७५, ई.
प्रथमावृत्ति। १५५. जैन साहित्य और इतिहास : (द्वितीय संस्करण) लेखक - पंडित
नाथूराम प्रेमी, शोध, विद्याधर मोदी, बबई १९५६ । १५६. जैन साहित्य और इतिहास : (प्रथम संस्करण) ले. - पं. नाथूराम
प्रेमी, हेमचन्द मोदी, बम्बई १९४६ । १५७, जैन साहित्य का इतिहास : (भाग दो) ले. - पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री,
श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रंथमाला, वाराणसी १६७६,
प्रथमावृत्ति। १५८ जैन साहित्य का यहद इतिहास : (भाग चार) डॉ. मोहनलाल व
प्रो. हीरालाल कापड़िया. पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान -
जैनाश्रम हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, १६६८, १५६. तीर्थकर महाबीर और उनकी प्राचार्य परम्परा : (भाग १, २, ३,)
डॉ नेमीचन्द्र शास्त्री पारा, मंत्री, भा. ब. दि. जैन विद्वत्परिषद कार्यालय सागर, १६७४ प्रथमावृत्ति । दक्षिण भारत में जैन धर्म : पं. कैलाशचन्द्र सिद्धांताचार्य, भारतीय
ज्ञानपीठ प्रकाशन दिल्ली, १९६७ प्रथमावृत्ति । १६१. पुरातन जैन वाक्यसूचो : (को प्रस्तावना) ले. - पं. जुगलकिशोर
मुख्तार "युगवीर" वीर सेवा मन्दिर सरसावा (सहारनपुर) १६५. प्रथमावृत्ति।
१६०. दक्षिण मा
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