Book Title: Acharanga Sutram Purv Bhag
Author(s): Tattvadarshanvijay, 
Publisher: Parampad Prakashan

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Page 22
________________ 142 A . मुत्ता इत्यादि । सुप्ता 148 8 जह मुत्त इत्यादि । सुप्तो १५र B1 एसेव य इत्यादि गाथा । एप 143A 10 लोयंसि जारा इत्यादि । लोके १५7A. से पायतमित्यादि । यो हि १५५१ सीउसिणमित्यादि । सबाह्या१५५B११ पासिय इत्यादि । स हि NCA७ कम्म इत्यादि । कर्मणो 1 4 . जाईच इत्यादि वृत्तं । जाति: १५08 ५ उम्मुच इत्यादि । इह 1468७ पवि से इत्यादि श्लोकः । ह्रीभया AC तम्हा इत्यादि वृत्तं । यस्माA3 एस इत्यादि । एव A२ बहुं च इत्यादि । मूलोत्तर १७२B५० सच्चे इत्यादि । सद्भ्यो 1536 3 पणेगचित्ते इत्यादि । अनेकानि 15383 मासे वित्ता इत्यादि । एतम् ७ १. कोहादीत्यादि वृत्तम् । कोष १७५A 3 संधि लोयस जारिणत्ता। तत्र tSSA५ ममयमित्यादि । समभावः 459AS पवरेण इत्यादि । रूपक १७AC का परई के पाणंदे । इष्टा१९८AC जंजाणिज्जा इत्यादि। ts BC दहमो इत्यादि। द्विषा १० ५ सहिए इत्यादि । साहितो १००B . से बंता इत्यादि । स १०१B . जे एग जाण्इ इत्यादि । यः १०२ सम्बो इत्यादि । सर्वतः 123B एवं विगिचमाणे इत्यादि । एकम् 27 BS जे कोहदंसीत्यादि । यो हि 0481 पढमे इत्यादि गाहा, उसम्मि• गाहा । प्रथमो७५ Be नाम गाहा । अक्षरार्थः 401 प्रह दम्ब० गाहा । प्रये25Ae तिविहं• गाहा । विविध A . कुणमायो • गाहा । कुर्वन्नपि . < A ८ ग्रहो य इत्यादि । पहश्च 1820 जे पासवा इत्यादि । य इति 103A 2. प्राधाइ इत्यादि । ज्ञानं r® 3 इहमेगेसिमित्यादि । इह 648 प्रावतीत्यादि । पावन्तीति .sB १ प्रणारिय इत्यादि । पाराद् याताः १७A १. तुडग पायसमासमित्यादि । अनया १०B. भिक्खापविट्ठणेत्यादि । सुग108११ फलोदयेण इत्यादि । सुगम ICCA १ मालाविहार इत्यादि । पूर्ववद् CAS खंतस्सेत्यादि । सुगमा GGAN२ उल्लो मुक्को० गाहा, एवं लागंति गाहा । मयमत्र CCE१० उवेह(हे०प्र०) इत्यादि । योऽय26.813 इहेत्यादि । इह 2018.जह खनु झुसिरं कई• गाहा। गतार्या Gt813 इममित्यादि। इदं 1420 ५ मावीलए इत्यादि । माडीषदर्य 163BD गतेहिं इत्यादि । नयं२07 A. जस्स नत्थीत्यादि । यस्य to4013 जे खलु भो वीरा इत्यादि । यदि वा १05A हिसग० गाहा, तइए• गाहा, हरमो• गाहा । हिनस्तीति ક A11 तम्हा० गाहा । यस्मा सम्मत्तुप्पत्ति० गाहा । सम्यक्त्वCAT पाहार• गाहा । पाहारण ७८B 7 से बेमीत्यादि सूत्रं । गौतमBC जिणवर(रा)• गाहा, बप्पि य जीवनि काये० गाहा । गाषा १८०63 तंपाइतु न निहे इत्यादि । तत् तत्त्वार्थC08. अस्स नस्थि इत्यादि । यस्य

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