Book Title: Acharang Shilank Vrutti Ek Adhyayan Author(s): Rajshree Sadhvi Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 2
________________ ..इसमें गद्य-पद्य शैली तथा व्याकरण पर आधारित सूचनाएं संक्षेप में दी गई हैं। इतने भर से यह तो स्पष्ट होही जाता है कि अर्थ विस्तार के साथ ही भाषात्मक प्रवाह तथा सहज ग्राह्यता इस वृत्ति की विशेषता है । इस प्रकार पृथक्-पृथक् अध्यायों में इस विस्तृत ग्रन्थ की विभिन्न दृष्टिकोणों से चर्चा प्रस्तुत की गई है। अन्त में उपसंहार के रूप में वृत्तिकार की आचार संबंधी विवेचना प्रस्तुत की है जो इस वृत्ति का मुख्य प्रतिपाद्य विषय है । आगमों के प्रसिद्ध वृत्तिकारों का भी संक्षिप्त परिचय सम्मिलित कर लेने से इस शोध प्रबन्ध का एक संदर्भ पुस्तक के रूप में महत्व बढ गया है । आशा है आप आगम वाङ्मय पर अपना शोध कार्य भविष्य में भी करती रहेंगी । - प्रकाशकीय Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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