Book Title: Aashadbhuti Sutra
Author(s): Gyansagar, 
Publisher: Ahmedabad

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Page 3
________________ मोकोयना र संशमात पितापरिवारो। ग्रावकर मदयजिक सहसशेली निर धारेला जुयोश्नाटिक जीवमा विषयत्वसिनाहि कामत फर सषुसी नए नोतिहारी राय सा बीजी दाल माहितली श्रीगुरुदेसनादी धीरे न्यान साग कदर दी। हृदय नाली धीरे एसा सर्वत्र रहा। नृप आदिनरनारीव जोमुनिनश करी मनोहार ग्राम नीम के चरश के श्रावकवत बार | १ चउरस ने ही मोह नो भवान टललना वसुधापती वदी व लिन सेवक मल सुतसारोरे परमवयरागणय मनई। ती कुमारेर १ मातीताप्रति विनवशे दिन से जम यदि सप्रे निरमल चारित्रपालते विचरीदे सविंदे सारे मालक बालबें संसारिक सुए लोगरि।। लोगविटाघरले जे चारित्र जोगारे र मातिागृह अनुमति दी श्री गु रुन कहिंसाई तारखे लव सायरघकी से निजर साह में जो ३४ प्रामादोई मदान दें। एस सारपसारमा रिमीमायार का कर काच समा गयी हेमरतन बोसी रायारे पंचमहातप्रेमसेनची नशा कंग इरे बिहारकर वसुधातल सहगुरू करें। सगरे प्राण श्रावश्यक घटादिघी श्रागमनिरगमवेदीरे मंत्र यंत्रमराणी नषधीस B

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