Book Title: Aashadbhuti Sutra
Author(s): Gyansagar,
Publisher: Ahmedabad
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न धरई ते हरे || ६धिमा ३४ कप रिभा बली । मोईन बोइंग अघा जी नवदिपरे चेरि बगली नसली सीव सुगु जन को तिम नीच नारी नरेघना सीतागुणी नवादाय धिगण पनि साथीनंरती जिम घर जर कौन जिम थीरबुका वीजनने वली अधीरजरे सध्या वान गिर४० ऐ। इम अथिर नेद नारी तपन जि माथिर वारन नेहा जिम धीर राजा बल के जिम अधिर जरे एय नीनी देह ६०/१० एसेसार असारमा छिंगमानिनोन वमोह बाजी मारता जी जिसे ते क्रपरिरे करा दोद धिगरधरं निरही बाकी नायका वाराम्योग श्रीगुरु चनसंसारीन | निजात मरे तार खानेगि घिगरा|११| प्रतिबो ४ प्रमदाघील दिन।। पाटलीपार न्यान सागर कठै सोललो। ढालदामीरे नजदिकेदनी नौ धिगर ४०१३ सर्वगाथा २४८॥ दूहाला दाती में क्यादती जेह) पप्रिंग पतिलेई नई याबदलीचते हो शशविश्वकर्माजनक हि निजपुत्रिन तामा फि दिरेफिटिड पापिणी| कनकरि नये काम | २| सोनानापुरसा सम्रायाविने यहि जंगम सुरतरु सारिष। पोदिनुपतिणिमादि | नू। तन्त्रिणी मदतरि

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