Book Title: Aashadbhuti Sutra
Author(s): Gyansagar, 
Publisher: Ahmedabad

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Page 2
________________ शिसोलागिणी सुरु लिगीरी इंशी हारिप्रीन से प्रोत गौरीघपंच विषय सुम लोगा कमल यसोदा विसर जिने सर पति सुरलोक पुराप सकल फलसरी प्रसविक्रमिषु मकर प्रवतारीरीकुमार नामदीन निरधारीरी गोमी रागर सालि पहिली ढालले न्यान सागर कहिंयम सुनोलविश्रवयाद है। सर्वगाथा हा व तरे बस्स गार नाघ्यो पाठो मनमोहनरनारिना रूपवत मारेदश यहवश्याविसमा सस्था धरम रुचि मुनिराजा ती मत दो दधिनाल लातारातरा जिहाजा जितशत्रुराजा सुरात प्रायोवद शिग कमल से वसुत साथिले प्रादी वेदवेगार थिरचित संदिप रमदल ही। श्री धरम रूचि सर परमद याप्रेम श्रदसनदी इसन शिधावातम कांटे। व्रतत ही पदेश । पचेपि दो दिल दो हिलोनर लव जाणारे चारयदेसमादहिलो चन्नम लाल हिपारे। शताव लवणसलिल नजिक हा जिनवर दोएशिएकणि चितिराधती दिशिवपदवी पारिश साहस माग मदो हिला सूण वासुत्रवचन सुसिद नंद। दिलन दो दिलन निरु जतन सा० पपर मागवा लही परिहरीनशेपर मादरे। प्रादरो विरती विशेष विषय सवार ४ ला करनसाधारण बहु की पापिशिमला रोरेपाटन पसवा उबलब्दमनिवारो साप करय टेबनकाराई विजह करम एजी वारे पोत लोग वसिंतिके एामंतो मुशिरे छला त्रा

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