Book Title: Aagam Manjusha 25 Painnagsuttam Mool 02 Aaurpachakhan
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 4
________________ बोसिरे // 2 // ममतं परिवजामि, निम्मत्तं उवडिओ। आलंबणं च मे आया, अवसेसं च वोसिरे // 3 // आया हु महं नाणे आया मे दसणे चरिते या आया पञ्चक्खाणे आया मे संजमे जोगे // 4 // एगो वचह जीवो, एगो चेवुववजई। एगस्स चेव मरणं, एगो सिज्झइ नीरओ // 5 // एगो मे सासओ अप्पा, नाणदंसणसंजुओ। सेसा मे बाहिरा भावा, सो संजोगलक्खणा // 6 // संजोगमूला जीवेणं, पत्ता दुक्खपरंपरा। तम्हा संजोगसंबंध, सबभावेण (प्र० सावं तिविहेण) वोसिरे // 7 // मूलगुणे उत्तरगुणे जे मे नाराहिया पमाएणं। तमहं सचं निदे पडिकमे आगमिस्साणं // 8 // सत्त भए अहमए सन्ना चत्तारि गारवे तिथि। आसायण तेत्तीसं राग दोसं च गरिहामि // 9 // अस्संजममन्त्राणं मिच्छत्तं सबमेष यममत्तं / जीवेसु अजीयेसु यत निंदे तं च गरिहामि // 30 // निंदामि निंदणिज गरिहामि यजं च मे गरहणिज। आलोएमि य स सभितरबाहिरं उवहिं॥१॥जह बालो जंपतो कज्जमकर्ज च उजुयं भणइ / तं तह आलोइजा मायामोसं पमुत्तूणं (प्र० मायामयविप्पमुको अ)॥२॥ नाणंमि दंसणेमि य तवे चरित्ते य चउसुवि अकंपो। धीरो आगमकुसलो अपरिस्सावी रहस्साणं // 3 // रागेण काय दोसेण व जं मे अकयनुया पमाएण। जो मे किंचिवि मणिओ तमहं तिविहेण खामेमि ॥४॥तिविहं भणति मरण पालाणं वालपंडियाणं च। तइयं पंडितमरणं जं केवलिणो अणुमहरति // 5 // जे पुण अट्ठमईया पयलियसन्ना य बंकभाषा य। असमाहिणा मरंति न हु ते आराहगा भणिया // 6 // मरणे विराहिए देवदुमगई दुलहा य किर बोही। संसारो य अणतो होइ पुणो आगमिस्साणं // 7 // का देवतुम्गई का अबोहि केणेव वुझाई मरणं। केण अर्णतमपारं संसारं हिंडई जीवो // 8 // कंदप्प देवकिम्बिस अभिओगा आसुरी य संमोहा / ता देवदुमाईओ मरणंमि विराहिए हुंति // 9 // मिच्छईसणरत्ता सनियाणा कहलेसमोगाढा। इय जे मरति जीवा तेसिं दुलहा भचे बोही॥४०॥ सम्मईसणरता अनियाणा सुकलेसमो. | गाढा। इय जे मरति जीवा तेसिं सुलहा मवे घोही ॥१॥जे पुण गुरुपडिणीया बहुमोहा ससबला कुसीला या असमाहिणा मरंति ते ९ति अणंतसंसारी॥२॥जिणवयणे अणुरता गुरुवयणं जे करति भावेणं / असबल असंकिलिट्ठा ते ९ति परित्तसंसारी॥३॥ बालमरणाणि बहुसो बहुयाणि अकामगाणि मरणाणि। मरिहंति ते बराया जे जिणषयणं न याणति // 4 // सत्थरगहण विसभक्षणं च जलणं च जलपवेसो य / अणयारभंडसेवी जम्मणमरणाणुबंधीणि // 5 // उड्ढमहे तिरियंमिवि मयाणि जीवेण बालमरणाणि / वंसणनाणसहगओ पंडिअमरणं अणुमरिस्सं // 6 // उधेयणर्य जाई मरणं नरएसुधेयणाओ या एयाणि संभरंतो पंडियमरणं मरसु इहि ॥७॥जह उप्पज बुक्स तो वहयो सहावो नवरं। किं किं मए न पत्तं संसारे संसरतेणं?॥८॥ संसारथकवालंमि सोविय पुग्गला मए बहुसो। आहारिया य परिणामिया य नाहं गओ तित्तिं // 9 // तणकटेहिब अम्गी लवणजलो वा नईसहस्सेहि। न इमो जीवो सको तिप्पेउं कामभोगेहिं // 50 // आहारनिमित्तेणं मच्छा गछति सत्तमि पुढवीं / सचित्तो आहारो न खमो मणसावि पत्येउं // 1 // पुधि कयपरिकम्मो अनियाणो ऊहिऊण मइबुद्धी। पच्छा मलियकसाओ सजो मरणं पडिच्छामि // 2 // अकंडेऽचिरभाविय वे पुरिसा मरणदेसकालम्मि। पुचकयकम्मपरिभावणाए पच्छा परिवहति // 3 // तम्हा चंदगविसं सकारणं उज्जुएण पुरिसेणं / जीवो अविरहियगुणो कायको मुक्खमगंमि // 4 // बाहिरजोगविरहिओ अम्भितरमाणजोगमतीणो। जह तंमि देसकाले अमूढसनो चयह वेहं // 5 // तूण रागदोस छित्तूण य अट्ठकम्मसंघायं। जम्मणमरणरह भित्तूण भवा विमुधिहिति // 6 // एवं सवएसं जिणदिट्ट सहहामि तिविहेणं / तसथावरखेमकरं पारं निशाणमग्गस्स ॥७॥नहु तम्मि देसकाले सको बारसविहो सुयक्खंधो। सबो अणुषितेउं धणियपि समस्यचित्तेणं // 8 // एगमिवि जम्मि पए संवेग वीयरायमर्गमि / गच्छा नरो अभिवंत मरणं तेण मरियाई।९। ता एगपि सिगं जो पुरिसो मरणदेसकालम्मि। आराहणोवउत्तो चिंतंतो राहगो होइ॥६०॥ आराहणोषउत्तो कालं काऊण सुविहिओ सर्म / उकोस तिन्नि भवे गंतूर्ण लहइ निघाणं // 1 // समणोनि अहं पढ़मं बीर्य सात्य संजओमित्ति। सच बोसिरामी एवं भणियं समासेणं // 2 // लवं अलवपुर्ष जिणवयण सुभासियं अमयभूयं / गहि. ओ सग्गइमग्गो नाहं मरणस्स बीहेमि // 3 // धीरेणधि मरिया काउरिसेणवि अवस्स मरियम् / दुण्डपि हुमरियचे वरं खुधीरतणे मरिउँ // 4 // सीलणवि मरियाई निस्सीलेणवि अवस्स मरियर्छ / दुहपि हुमरियवे वर खुसीलत्तणे मरि // 5 // नाणस्स देसणस्स य सम्मत्तस्स य चरित्तजुत्तस्स / जो काही उवओगं संसारा सो विमुश्चिहिए // 6 // चिरउसियभयारी पप्फोडेऊण सेसयं कम्म। अणुपुची विसुद्धो गच्छइ सिदिं धुयकिलेसो // 7 // निकसायस्स दंतस्स, सूरस्स ववसाइणो। संसारपरिमीयस्स, पचक्खाणं सुहं भवे // 8 // एवं पचक्खाणं जो काही मरणदेसकालम्मि। धीरो अमूढसो सो गच्छइ सासयं ठाणं॥९॥ धीरो जरमरणविऊवीरो विनाणनाणसंपयो।लोगस्सुजोयगरो विसउ खयं सबदुक्खाणं॥७॥१,१३३॥ इति प्रत्याख्यानम्।आप11-6→ श्रीमहाप्रत्याख्यानप्रकीर्णकम्-एस करेमि पणामं तित्पयराणं अणुत्तरगईणं सोसिंच जिणार्ण सिद्धाणं संजयाणं च॥॥१३४॥सादकखप्पही PATTERNATO

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