Book Title: Aagam 28 V TANDUL VAICHAARIK Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 68
________________ आगम (२८-वृ) प्रत सूत्रांक [१६] ||५६ -८२|| दीप अनुक्रम [७४ -१०२] “तन्दुलवैचारिकं” - प्रकीर्णकसूत्र-५ (मूलं+अवचूर्णिः) मूलं [ १६... ]/ गाथा || ५६-८२|| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र -[ २८-वृ], प्रकीर्णकसूत्र [५] “तंदुलवैचारिकं मूलं एवं विजयविमल गणि कृता अवचूर्णि: Jass Education (७१) चत्तारि य कोडिसया सत्त य कोडिओ हुंति अवराओ । अडयाल सयसहस्सा चत्तालीसं सहस्साइं ॥ १७ ॥ ( ७२ ) वासस्याउस्सेए उस्सासः इत्तिया मुणेयवा । पिच्छह आउस्स खयं अहोनिसं झिज्झमाणस्स ॥ १८ ॥ ( ७३ ) राईदिएण तीसं तु मुहत्ता नव सयाई मासेणं । हायंति पमत्ताणं न णं अबुहा बियाणंति ॥ १९ ॥ (७४) तिन्नि सहस्से सगले छच सए उडवरो हरइ आउं । हेमन्ते गिम्हासु य वासासु य होइ नाथवं ॥ २० ॥ (७५) वासस्यं परमाऊ इसी पन्नास हर निदाए । इतो वीसह हावर बालते बुद्धभावे य ॥ २१ ॥ ( ७६) सीउण्हपंथगमणे खुहापिवासा भयं च सोगे य । नाणाविहा य रोगा हवंति तीसाइ पच्छद्धे ॥ २२ ॥ (७७) एवं पंचासीई नट्ठा पण्णरसमेव जीवंति। जे हुंति वाससइया न य सुलहा वाससयजीवा ॥ २३ ॥ ( ७८ ) एवं निस्सारे माणुसत्तणे जीविए अहिवडते । न करेह चरणधम्मं पच्छा पच्छाणुताहा ॥ २४ ॥ ( ७९) घुमि सयं मोहे जिणेहिं वरधम्मतित्थमग्गस्स । अत्ताणं च न याणह इह 8 जाया कम्मभूमीए ॥ २५ ॥ ( ८० ) नइवेगसमं चंचलं जीवियं जुवणं च कुसुमसमं । सुक्खं च जमनियत्तं | तिन्निवि तुरमाणभुजाई ।। २६ ।। ( ८१ ) एयं खु जरामरणं परिक्खिवड़ वग्गुरा व मयजूहं । न य णं पिच्छह पत्तं संमूढा मोहजालेणं ॥ २७ ॥ ( ८२) 'ववहार'गाथा, व्यवहारगणितं एतद् दृष्टं स्थूलन्याय मङ्गीकृत्य कथितं मुनिभिः सूक्ष्मं सूक्ष्मगणितं निश्चयगतं ज्ञातव्यं, | यद्येतन्निश्चयगतं भवति तदैतद् व्यवहारगणितं नास्त्येव, अतो विषमा गणना ज्ञातव्येति ॥ १ ॥ अथ पूर्वोक्तं समयादि For Pale & Pomonal Use Only ~67~ jainelibrary.org

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