Book Title: Aagam 28 V TANDUL VAICHAARIK Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 103
________________ आगम (२८-व) “तन्दुलवैचारिकं” - प्रकीर्णकसूत्र-५ (मूलं+अवचूर्णि:) -------- मूलं [१९]/गाथा ||१२१...|| ------ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-२८-व), प्रकीर्णकसूत्र-[9] “तंदुलवैचारिक मूलं एवं विजयविमल गणि कृता अवचूर्णि: तं. वै. प्र. महार मापस विडापती ५०॥ [१९] ||१२१.॥ 15-45-423645645425645-4-525 | अवि याई तासिं इत्थियाणं अणेगाणि नामनिरुत्साणि पुरिसे कामरागपडिबद्धे नाणाविहेहिं उवायस-11 यसहस्सेहिं वहबंधणमाणयंति पुरिसाणं नो अन्नो एरिसो अरी अस्थित्ति नारीओ, तंजहा-नारीसमा नरनारीस्वनराणं अरीओ नारीओ, नाणाविहेहिं कम्मेहिं सिप्पियाईहिं पुरिसे मोहंतित्ति महिलाओ, पुरिसे मत्ते करंतित्ति पमयाओ, महंतं कलिं जणयंतित्ति महि लियाओ, पुरिसे हावभावमाईहिं रमंतित्ति रामाओ, पुरिसे अंगाणुराए करंतित्ति अंगणाओ, नाणाविहेसु जुद्धभंडणसंगामाडवीसु मुहाणगिण्हणसीउण्हदुक्खकिलेसमाईसु पुरिसे लालंतित्ति ललणाओ, पुरिसे जोगनिओएहिं बसे ठावंतित्ति जोसियाओ, पुरिसे नाणाविहेहिं भावहिं वपणंतित्ति वणियाओ, काई पमत्तभावं काई पणयं सविन्भमं काई ससई सासिब | ववहरंति काई सत्तु रोरो इव काई पयएसु पणमंति काई उवणएमु उवणमंति काई कोउयनमंति काई सुकडक्खनिरिक्खिएहिं सविलासमहुरेहिं उवहसिएहिं उबग्गहिएहिं उवसहेहिं गुरुगदरिसणेहिं भूमिलिहणविलिहणेहिं च आरुहणनत्तणेहिं च वालयउवगृहणेहिं च अंगुलिफोडणथणपीलणकडितडजा-18 यणाहिं तजणाहिं च अवि याई ताओ पासो व ववसि जे पंकुब खुप्पि जे मचुच मरि जे अगणिवाद डहिउँ जे असिब छिजिउं जे (सूत्रं १९) 'अवि याईति पूर्ववत् 'तासिं इ०' तासामुक्तवक्ष्यमाणानां स्त्रीणामधमाधमानां दासीकुरण्डादीनामनेकानि-विविध-13 प्रकाराणि नामनिरुक्कानि-नामपदभञ्जनानि भवंति, 'पुरिसे' इत्यादि यावत् 'नारी'त्ति 'नारीओत्ति खण्डयति, दीप अनुक्रम [१४३] CRENCCRORSCROSS Malainesibraryana... ~ 102~

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