Book Title: Aagam 23 VRUSHHNI DASHAA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 1
________________ ' [२३] श्री वृष्णिदशा (उपाग)सूत्रम् नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः । “वृष्णिदशा” मूलं एवं वृत्ति: [मूलं एवं चन्द्रसूरि-विरचिता वृत्तिः] तः [आट्य संपादक: - पूज्य अनुयोगाचार्य श्री दानविजयजी गणि म. सा. ] (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) | 15/01/2015, गुरुवार, २०७१ पौष कृष्ण १० jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित. आगमसूत्र-[२३], उपांग सूत्र[२] "वृष्णिदशा" मूलं एवं चन्द्रसूरि-विरचिता वृत्तिः ~0~

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