Book Title: Aagam 16 SOORYA PRAGYAPTI Moolam evam Vrutti Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 2
________________ आगम (१६) “सूर्यप्रज्ञप्ति" - उपांगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) प्राभृत [-], --------------------- प्राभृतप्राभृत [-1, -------------------- मूलं [-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१६], उपांग सूत्र - [9] "सूर्यप्रज्ञप्ति" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्राक RRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRS ॥ अहेमू ॥ श्रीमन्मलयगिर्याचार्यविहितविवरणयुतं श्रीसूर्यप्रज्ञस्युपाङ्गम् । प्रकाशयित्री-सूर्यपुरवास्तव्यश्रेष्ठिभगवानदासहीराचंद्रकृतयथोक्तद्रव्यसाहाय्येन । श्रीआगमोदयसमितिः श्रेष्ठिसुरचन्द्रात्मज वेणीचन्द्रद्वारा मुद्रितं मोहमय्यां निर्णयसागरमुद्रणयन्त्रे रा. रा. रामचन्द्र येसू शेडगेवारा मुद्रयित्वा प्रकाशितम् चीरसंवत् . २४४५ विक्रमसंवत्. १९७५ क्राइष्ट. १९१९ पण्यं ३-४ साथै रूप्यकार्य ARRRRRRR दीप अनुक्रम ses-SSHRSasses T प्रतयः १००० सूर्यप्रज्ञप्ति (उपांग)सूत्रस्य मूल “टाइटल पेज" ~1~Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 600