Book Title: Aadhyatmik Vikas Yatra Part 01 Author(s): Arunvijay Publisher: Vasupujyaswami Jain SMP SanghPage 13
________________ काने राजस्थान जाना अनिवार्य था । फिर भी हमारे संघ के अभ्युदय हेतु पूज्यश्री ने अन्य अनेक संघों की विनंतियां होते हुए भी हमें आदेश दिया । पू. गच्छाधिपति आचार्यदेव श्री प्रेमसूरीश्वरजी म.सा. ने आज्ञा-अनुमति प्रदान की। और चैत्र सुदि १३ के भ. महावीर स्वामी जन्म कल्याणक महोत्सव के शुभ दिन नगरथ पेठ हस्ति बिल्डर्स की विशाल जमीन पर आयोजित समारंभ में विराट जनमेदनी समक्ष चातुर्मास की जय बोली गई । इस जय घोषणा से समस्त बेंगलोर के जैन बंधु-बहनें आनंदित हो गए। हर्षोल्लास से गद्गद् हो गए । चैत्री पूनम के शुभदिन अक्कीपेठ में पुनः जय घोषणा की गई । समस्त अक्कीपेठ आदि विस्तारों की जैन जनता इस जय घोषणा से आनन्दित हो गए। पूज्यश्री की हमारे श्री संघ पर महान कृपा बारिश हुई। शासन प्रभावनार्थ पूज्यश्री का विहार दक्षिण भारत की धन्य धरा पर शासन प्रभावनार्थ विचरते हुए पूज्य गुरुदेव श्री कर्नाटक राज्य के दक्षिणी जिल्लों की धरती पर विहार करते हुए पधारे । श्रवणबेलगोला-बाहूबली के बारहवर्षी महामस्तकाभिषेक महोत्सव में शरीक हए । वहाँ से हासन पधारे । पू. दिगंबर आचार्य शान्तिसागरजी से २ दिन परामर्श किया। कर्नाटक राज्य के कठिनतम दक्षिणी घाट विस्तार में पूज्यश्री ने कठिनतम विहार किया और धर्मस्थल की भी मुलाकात ली। वहाँ से मेंगलोर । कई वर्षों बाद ऐसे प्रदेशों में साधु-सन्तों का आगमन हुआ। जिससे यहाँ की जनता गद्-गद् झूम उठी। कुछ दिनों तक धर्मोपदेश देकर पूज्यश्री मुडबिद्रि दिगंबर तीर्थक्षेत्र पधारे । भट्टारकजी से मिले । ऐतिहासिक विहंगावलोकन किया। वहाँ से वेणुर होते हुए मुडिगेरे पधारे । जटिल पहाडियों-घाटियों के बीच विहार करके मुडिगेरे पधारे । कुछ दिनों की स्थिरता के प्रभावी प्रवचनों ने मुडिगेरे में भी धर्म की बहार लाई । वहाँ भव्य जिन मंदिर... धर्मशाला निर्माण का आयोजन पूज्यश्री की पावन निश्रा में हुआ। चिक्कमंगलूर की धरती पर पूज्यश्री का पदार्पण हआ। वहाँ थोडे दिनों की स्थिरता में प्रतिदिन के ३ प्रवचनों से धर्म का रंग लाया । कई भाग्यशालियों को सच्चा ज्ञान प्रदान कराके काफी अच्छी जागृति लाई । सब सम्प्रदायों के लोगों को सच्चा सम्यग् ज्ञान प्रदान कराके मन्त्रमुग्ध कर दिये । वहाँ से अरसिकेरे होते हुए टिपटुर तथा टुमकुर संघो में भी प्रभावी प्रवचनों से पूज्यश्री ने काफी धर्म प्रभावना की। पूज्यश्री पंन्यासजी म.सा. आदि मुनि मण्डल दक्षिण भारत के बंगाल की खाडी के पूर्वी समुद्री तट के मद्रास शहर से विहार करके दक्षिण भारत के पश्चिमी अरबी समुद्री तट-मेंगलोर तक विहार कर पुनः कर्नाटक की राजधानी बेंगलोर शहर में आगमन हुआ।Page Navigation
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