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________________ दश आश्चर्य कम्पमुक्तावल्या वृत्तांता जीवन्तं तं परित्यज्य द्रौपदी सहित स्ततः // सानन्दं बलमानश्च शङ्ख दध्मौ प्रतापवान् // 12 // इतश्च वासुदेवोऽपि तत्रत्यः कपिलाभिधः॥ मुनि सुव्रतनाथस्य पार्श्वे शृण्वंश्च देशनाम् // 13 // सुश्राव शङ्खनिध्वानञ्जगन्मण्डलचारिणम् // जिनोकूत्या कृष्णमायान्तं ज्ञात्वाऽसौ मुमुदे हदि // 14 // मिलनार्थ समागत्य समुद्रवर रोषसि // कम्बु स्वम्पूरयामास निर्भरं ख्यातिहेतवे // 15 // अर्धवारिधि मध्यस्थौ दध्मौ शत तथा हरिः॥ शङ्ख शब्दो ततो दिव्यौ मित्रवन्मिलितौ मिथः // 16 // एतस्यामवसर्पिण्या शङ्कायाङ्गरुडध्वजः // जग्मिवानिदमाश्चर्यम्पश्चर्म बुध्यता म्बुधैः // 17 // अवयरणं चंदसुराणत्ति // तच्चेत्थम् / यत्-कौशाम्बी नाम नगर्या श्रीवीरस्य चन्दनार्थ सूर्याचन्द्रमासौं मूल विमानेन समुत्तीर्णौ तदाश्चर्य षष्ठम् // 6 // (हरिवंश कुलुप्पत्ति) सा.चेत्थम् // 55
SR No.600451
Book TitleKalpasutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakvimalsuri
PublisherMuktivimal Jain Granthmala
Publication Year1968
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size40 MB
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