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________________ कल्पमुक्कावल्यां प्रथम It व्याख्याने मेघकुमार कथा // 46 // विमाने विजये देवो जज्ञे सोऽथ महर्द्धिमान् // अहो चारित्र्य माहात्म्यं वर्ण्यते केन वत्सरैः // 42 // महाविदेह सन्नाम्नि क्षेत्रे च्युखा ततः सुखम् // निराबाधं महानन्दं प्राप्स्यते शिवमक्षयम् // 43 // // इति मेघकुमार कथा // इति श्रीतपागच्छनभोमणि शासनसम्राट् जङ्गमयुगप्रधान कनकाचलतीर्थषोडशीयोद्धारक महाक्रियोद्धारक सकलभट्टारकाचार्य श्रीमदानन्दविमलसूरीश्वरपट्टपरम्परागत तपोनिष्ठ सकलसंवेगिशिरोमणि पंन्यासदयाविमलगणि शिष्यरत्न पण्डितशिरोमणि पंन्यास सौभाग्यविमलगणि पादारविन्द चञ्चरीकायमाण विनेय सकलसिद्धान्त वाचस्पति अनेकसंस्कृतग्रन्थप्रणेता पंन्यास मुक्तिविमल गणिवर विरचितकल्प मुक्तावलिव्याख्यायां / // प्रथमं व्याख्यानं सम्पूर्णम् // // 46 //
SR No.600451
Book TitleKalpasutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakvimalsuri
PublisherMuktivimal Jain Granthmala
Publication Year1968
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size40 MB
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