________________ कल्पमुक्कावल्यां प्रथम व्याख्याने दशकल्प अधिकारः // 20 // // तत्राष्टमतपोमाहात्म्यविषये नागकेतुकुमारकथानकम् // गुणैः कान्तैः पुरी काऽपि चन्द्रकान्ताऽभिधाऽभवत् // विजयसेनभूपश्च नाम्ना तत्र रिपुञ्जयः // 23 // श्रीकान्ताख्यो वणिक्तत्र श्रीसखी तस्य गेहिनी // उपायप्रार्थित स्तस्याः सूनुरेकोऽभवद्गुणी // 24 // पर्वणि चागते दिव्ये श्री पर्युषणसंज्ञके // श्रुत्वा वार्तामष्टमस्य कृतस्य निजवनिभिः // 25 // जातिस्मरणकं ज्ञानञ्जात तस्य च पुण्यतः॥ स्तनपोऽप्यष्टमश्चक्रे तपोऽसौ ज्ञानभासुरः // 26 // कुचपानमकुर्वन्तं पितरौ वीक्ष्य तं सुतम् // उपायान् विविधान् प्रायश्चक्रतुः सुतशर्मणे // 27 // मूर्छाक्रान्तश्च तं बालं विलोक्य स्वजना अपि // मृतं ज्ञात्वा च तं भूमौ चिक्षिपु र्दीनमानसाः // 28 // विगतासु सुतं बुध्वा पिताऽप्यस्य जहौ तनुम् // पुत्रशोको हि कष्टाय जायते देहिनां भृशम् // 29 // द्वयोमृतिं निशम्याथ विजयसेन भूपतिः // स्वभटान्प्रेषयामास तद्वित्तग्रहणाय वै // 30 // इतोऽष्टमतपःशक्तिकम्पितासन विस्मितः // ज्ञात्वा चावधिना तत्र धरणेन्द्रः समाययौ // 31 // बालं तं सुधयाऽऽसिच्य चाश्वास्य च तदनन्तरम् // द्विजाकृतिम्विधायासौ भटांस्तांश्च न्यवारयत् // 32 // नपोऽप्याकर्ण्य तवृत्तं तत्रोपेत्य जगाद च // भो भूदेव कथं स्वं मे निवारयसि हा भटान् // 33 // अपुत्रिणां धनं राज्ञो वेत्सि नीतिमिमां न किम् // धरणेन्द्रो जगौ राजन्-जीवत्येष सुतोऽधुना // 34 // जीवतोऽस्य कथं वित्तं गृह्यते च त्वया नृप // नपःप्रोवाच कुत्रास्ति तेनापि दर्शित स्तथा // 35 // // 20 //