________________ कल्पमुक्तावल्यां प्रथम व्याख्याने दशकल्प अधिकार कल्पसूत्रमिदं भव्यः श्रोतव्यम्भाव पूर्वकम् // प्रभावनामहपूजानानामङ्गलहेतुभिः // 12 // प्रमाणमाप्तवाक्यं हि श्रद्धा तत्र च जायते // रचितं सूत्रमेतद्धि श्रीस्वामि भद्रबाहुना // 13 // अर्थात्-चतुर्दशपूर्वधरयुगप्रधान श्रीभद्रबाहुस्वामिभिः-प्रत्याख्यानप्रवादामिधान्नवपूर्वादुम्धृत्य-दशश्रुतस्कन्धस्याष्टमाध्ययनतया रचितमिदङ्कल्पसूत्रम्-ततो महाप्तपुरुषप्रणीतत्वात्. सूत्रमदः सर्वमान्यङ्गभीरार्थास्पदश्चसुतरामेवेति // सव्वनईणं जइ हुज वालुआ सव्वोदहीण जं उदयं // तत्तो अणंतगुणिओ अत्थो इक्कस्स सुत्तस्स // 1 // हृदये केवलज्ञानं मुखे सहस्रजिह्नता // तथापि कल्पमाहात्म्यं वक्तुं ना न च वै प्रभुः॥१४॥ तत्र सर्वाणि पूर्वाणि षोडशसहस्रत्रिशतन्यशीतिसंख्यया १६३,८३-हस्तिप्रमाणमसिपुजैर्लेख्यानि-तत्र प्रत्येकं पूर्वे. हस्ति प्रमाणमसिपुञ्जस्तु यन्त्रस्थापनाक्रमतो ज्ञातव्यः सा चेत्तम् // पूर्व | उत्पाद अग्रा वीर्य अस्ति शान सत्य आत्म कर्म प्रत्याख्यान विद्या कल्याण प्राणा | क्रिया लोक नामा- पूर्व यणी प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद | वाय विशाल बिन्दु | पूर्व पूर्व पूर्व | पूर्व पूर्व पूर्व पूर्व पूर्व पूर्व पूर्व 2 4 8 16 32 64 128 256 512 1024 2048 4096 संख्या // इति यन्त्रक्रमः॥ // 18 //