________________ श्रीकल्पमुक्तावल्या श्री ऋष चरित्रम् // 415 // श्रुत्वेति श्रावकैः पश्चात् , श्रीवज्रस्वामिमातुलाः, समितसूरयो विज्ञा, आहूता शक्तिशालिनः // 55 // श्रावकैः सर्वमेतस्य, वृत्तमाख्यायि तत्पुरः, तैरुक्तं स्तोकमेतद्धि, पादलेपस्य शक्तिका // 56 // आदाय तापसं गेहे, पादक्षालनपूर्वकम, भोजनीयस्ततः शक्ति-मेतस्य किल वेत्स्यथः // 57|| तथैव भोजितस्तैः स, नदीतीरमगस्ततः, पूर्ववत्तापसो नद्यां, प्रविवेश च पाष्टर्यतः // 58 // लेपाभावेन संलग्नो, बुडितुं किञ्च तापसः, ततस्तेषामभून्निन्दा, तापसानां समन्ततः // 59 // समितसूरयश्चाथ, तत्राभेत्य प्रभाविणः, योगचूर्ण पुरा नद्या, चिक्षिषुः सिद्धसाधना // 6 // प्रोचु इँन्ने ? वयं पारं, यास्याम इति भाषिते, द्वेकूले मिलिते सद्यो, बवाश्चर्य तदाऽजनि // 6 // तत स्ते सूरयो गत्वा, तापसानां किलाश्रमे, प्रावाजयंश्च तान् सर्वान् , प्रतिबोध्य विशारदाः // 6 // // ततस्तेभ्यो ब्रह्मद्विपिका शाखा निर्गता // तत्र च-महागिरिः 1 सहस्ती, च 2 सूरिः श्री गणसुन्दरः, 3 श्यामार्यः 4 स्कन्दिलाचार्य, 5 रेवतीमित्र सरिराष्ट्र // 1 // श्रीधर्मों 7 भद्रगुप्तश्च 8 श्रीगुप्तो 9 वज्रसूरिराट् // 10 // युगप्रधान प्रवरा दशैते दशपूर्विणः // 2 // म-पा-थेरोहितो णं अज्जवइरेहिंतो गोयमसगुत्तेहिंतो इत्थ णं अज्जवइरी साहा निग्गया / थेरस्स अज्जवइरस्स गोयमसगुत्तस्स इमे तिणि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था तं जहा थेरे अज्जवइरसेणे थेरें अज्जपउमे थेरे अज्जरहे / थेरेहितो णं अज्जवइरसेणेहिंतो इत्थ णं अज्जनाइली साहा निग्गया 1415 //