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________________ श्रीकल्प मुक्कावा श्री ऋषभ | चरित्रम् // 410 // गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिन्नाया हुत्था त जहा-थेरे अज्जसंतिसेणिए माढरस्स गुत्ते थेरे अज्जसीहगीरी जाइस्सरे कोसियगुत्ते थेरेहितो णं अज्जसतिसेणिएहितो माढरसगुत्तेहितो इत्थ णं उच्चनागरीसाहा निग्गया थेरस्स णं अज्जसंतिसेणियस्स माढरसगुत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिनाया हुत्था तं जहा (ग्रं 1000) थेरे अज्जसेणिये थेरे अज्जतावसे थेरे थेरे अज्जकुबेरे थेरे अज्जइसिपालिए / थेरेहितो णं अज्जसेणियेहिंतो इत्थ णं अज्जसेणिया साहा निग्गया थेरेहितो णं अज्जतावसेहितो इत्थ णं अज्जतावसी साहा निग्गया थेरेहिंतो णं अज्जकुबेरेहिंतो इत्थ णं अज्जकुबेरी साहा निग्गया थेरेहितो णं अज्जइसिपालिएहिंतो इत्थ णं अज्जइसिपालिया साहा निग्गया थेरस्स णं अज्जसिहगिरिस्स जाइस्सरस्स कोसियगत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहाबच्चा अभिनाया हुत्था तं जहा-थेरे धनगिरी थेरे अज्जवइरे थेरे अजइरेत्ति / / तथाहि-आसीद् धनपतिः कश्चिद्, ग्रामे तुम्बवनाभिधे / सुनन्दा तस्य भार्याऽऽसी- स्वनामगुणशालिनी // 1 // सगभी तां परित्यज्य, दीक्षा तेन समाददे / सुनन्दा सुषुवे पुत्रं, पुत्रराशिशिरोमणिम् // 2 // स्वजन्मसमये पुत्रः, पितुर्दीक्षां निशम्य च, जातजातिस्मृति नित्य, अनन्युद्वेगहेतवे // 3 // रुदावश्च षण्मासा, व्यतीतास्तस्य वै शिशोः / जयाय मातृमोहस्य, बालानां रोदनं बलम् // 4 // सिंहगिरिस्तदा तत्र, चाययौ ज्ञानवारिधिः / धनगिरि तथा प्राह, लाभोऽद्य भविता महान् // 5 // // 410 //
SR No.600451
Book TitleKalpasutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakvimalsuri
PublisherMuktivimal Jain Granthmala
Publication Year1968
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size40 MB
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