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________________ // श्यामत्वे श्यामवस्त्वाश्रयणे च गुणानाह श्रीकल्पमुक्तावल्या श्री नेमि-- नाथ चरित्रम् // 319 // कस्तूरिका भूः किल चित्रवल्ली, घनागरू केशकनीनिकाच, रात्रिश्च कृष्णा कषपट्टमस्या- वेते दशानयफला हि सन्ति // 7 // चिह्नश्च चन्द्र दृशि तारिकेयं, भोज्ये मरीचं हिमवालुकायाम् , अङ्गार एवं शितिरेखिकाऽसौ, चित्रे प्रशस्या गुणहेतवोऽमी // 75 // ॥केवल गौरत्वे दोषानाह॥ विद्यते लवणे क्षारं, हिमे च दहनं तथा, गौरदेही तथा रोगी, पराधीना सुधा सदा // 76 // ॥अतो गौरत्वे सर्वेऽवगुणाः॥ मिथस्तासाच सञ्जल्पे-जायमाने तदा प्रभुः, श्रुत्वार्तनादमाहाथ, पशूनां सारथिं प्रति // 77 // भोः सारथे दारूणशब्द एष, कर्णार्तिदो बेहि कुतोऽभियातः, सोऽप्याह वः पाणिमहेऽशनार्थ, पूजीकृतानेकपशूत्कराणाम् // 78 // .. श्रुत्वैव नेमिः करूणापयोधि, र्दध्यौ च धिक् पाणिमहोत्सवं तम् / योदृशानेकपशूत्करस्य, चानुत्सवः खेदप्रदो नितान्तम् // 79 // 1 कपूरे 2 चूनेति / // 31 //
SR No.600451
Book TitleKalpasutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakvimalsuri
PublisherMuktivimal Jain Granthmala
Publication Year1968
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size40 MB
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