________________ श्री कल्पमु. कावल्या षट्पञ्चाशत् दिक कुमारीकृत महोत्सवः // 149 // नन्दा 1 उत्तरानंदा 2 आनन्दा 3 नन्दिवर्धना 4 विजया 5 वैजयन्ती 6 जयन्ती 7 अपराजिता 8-24 एताः--अष्टदिक्कुमार्यः पूर्वस्याः दिशो रुचकनामपर्वतादागत्य मुखविलोकनाय पुरो दर्पणं धारयन्ति मङ्गलहेतुत्वादिति // 24 तथा समाहारा 1 सुप्रदत्ता 2 सुप्रबुद्धा 3 यशोधरा 4 लक्ष्मीवती 5 शेषवती 6 चित्रगुप्ता 7 वसुन्धरा 8-32 एताः-अष्टदिक्कुमार्यों दक्षिणदिशो रुचकपर्वतादागत्य नमस्कृत्य स्नानार्थम् सम्पूर्णकलशान् करे कृत्वा गृहीत्वेति गीतगानं विदधति 32 // तथा इलादेवी 1 सुरादेवी 2 पृथ्वी 3 पद्मावती 4 एकनासा 5 नवमिका 6 भद्रा 7 शीता 8- // 40 // एता:-अष्टदिक्कुमार्यः पश्चिमदिशो रुचकपर्वतादागत्य नमस्कृत्य-प्रभोस्तन्मातुश्च पवनार्थ सव्यजनहस्ताः पुरस्तिष्टन्ति // 40 // तथा अलम्बुसा 1 मितकेशी 2 पुण्डरीका 3 वारूणी 4 हासा 5 सर्वप्रभा 6 श्री 7 ही 8 // 48 // एताः-दिक्कुमार्यः-उत्तरदिशो रूचकपर्वतादागत्य नमस्कृत्य चामराणि बीजयन्ति // 48 // तथा चित्रा 1 चित्रकनका 2 शतोरा 3 वमुदामिनी 4 // 52 // एताश्चतस्रो दिक्कुमार्यों रूचकगिरेविदिग्भ्य आगत्य नमस्कृत्य धृतहस्तदीपाः-ईशानादिविदिक्षु हर्षादास्थुः // 19 //