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________________ श्री कल्पमु कावल्या चतुर्दशस्वनाधिकार // अथ तृतीयं व्याख्यानम् // मूलपाठः-तओ पुणो सरसकुसुम मंदारदाम रमणिज्ज भूअं चंपगासोग पुन्नागनागपिअंगु सिरिस मुग्गर मल्लिआ जाइ जूहिअ अंकोल कोज्ज कोरिंट पत्तदमणय नवमालिअ बउलतिलय वासंतिम पउम्मुप्पल पाडलकुंदाइ मुत्त सहकारसुरभिगंधि अणुवम मणोहरेण गंधेण दस दिसाओ विवासयंत-सव्वो उ असुरभिकुसुममल्लधवल विलसंतकंत बहुवन्न भत्तिचित्तं छप्पय महुअरिभमरगणगुमगुमायंत निलित गुंजंत देस भागं दामं पिच्छइ नभंगणतलाओ उवयंतं / / 5 // 37 // // व्याख्या // ततः पुनः अम्बरतलादवतरत्-दाम ( पुष्पमालाम् ) सा त्रिशलादेवी पञ्चमे स्वप्ने पश्यति किम्बिशिष्टं पुष्प दाम इत्याह सरसकुसुममन्दारदामरमणीय भूतम्-अति सुन्दरमिति पुनश्चम्पकाशोकपुन्नागनागप्रियङ्गशिरीष मुद्गरमल्लिकाजाति यूथिकाऽङ्कोलकोजकोरण्ट दमनकपत्रनवमालिका बकुलतिलक वासन्तिका पद्मोत्पलपाटल कुन्दाति मुक्त सहकार कुसुम सुराभिगन्धम् // एतज्जातीयवृक्षलताकुसुमसुगन्धितमिति / पुनरनुपममनोहरगन्धेनदशदिशो वासयत् सुरभिकुर्वत् पुनः सर्वर्तुसुराभिकुसुममाल्यधवलविलसत्कान्तबहुवर्णरचनाचित्रम् अर्थात् प्रभूतश्वेतपुष्पै स्तथा न्यूनान्यवीय पुष्पै रचितत्वान्महाश्चार्यकरमिति पुनः षट्पदमधुकरीभ्रमर गणगुमगुमायमानिनतान्त गुञ्जद्देशभागम्
SR No.600451
Book TitleKalpasutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakvimalsuri
PublisherMuktivimal Jain Granthmala
Publication Year1968
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size40 MB
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