________________ बमस्कन्धा प्रथमे उत्पत्तिस्कन्धे एकादशः सर्गः / दमयन्त्याः क्रीडनम्, | नल-राज // 10 // ईसयो विवादश्च॥ FICIFI II IIIIIMSIK इदमाकर्ण्य सङ्कीर्ण वचनं मानसौकसः / बभार भारतः शोकमस्तोकविरहातुरः // 1 // दीर्घमुष्णं च निःश्वस्य तिर्यग्वलितलोचनः / जगाद मदनोन्मादसादितोक्तिपरिक्रमम् // 2 // इत्येकैकं समाकर्ण्य बहुशस्तत् तदद्धतम् / अर्द्धमग्नास्त्वया मूलान्मोहान्छौ मन्जिता वयम् // 3 // वैदर्भी वर्णनव्याजात् सुचिरं सुचिरं जयन् / त्वमकार्षीर्मया साकं कहं कलहंस ! किम् ? // 4 // किं करोमिक गच्छामि ? कं वा शरणमर्थये / न मुञ्चति हि मां लञा प्रतिष्ठाभङ्गलक्षणम् // 5 // अहो ! भ्रमति भूचक्रं पतति व्योममण्डलम् / विलीयन्ते दिशः सर्वा गात्रं प्रज्वलतीव मे // 6 // हन्त हातात हा मातऍवयो नृणोऽस्म्यहम् / अमी गच्छन्ति मे प्राणा हालोकमपनायकम् // 7 // इति जल्पन् समुद्भान्तकण्ठमीलद्विलोचनम् / जगाम जगतीपीठे पुण्यश्लोकः प्रजापतिः॥८॥ सरःसलिलसंपृक्तास्तुषारकणवर्षिणः / ततस्ते वीजयामासुव्याकुलाः पक्षिणः क्षणम् // 9 // उपरागविनिर्मुक्तः शशीव विशदच्छविः / पुनः प्रकृतिमापन्नः स बभाषे पतत्त्रिणा // 10 // दुर्लभाऽपि हि वैदर्मी न च हस्तगतैव सा / आसन्ना हि सहस्रांशोईरस्थस्यापि पमिनी // 11 // आस्तां प्रकृतिवर्गस्ते पक्षिमात्रोऽप्यहं तव / त्वदेकशरणां भैमी करिष्यामि न संशयः // 12 // FIFII II FIजIIIIIIIIshe // 20 //