________________ II नलशोधने तिलक स्कन्ध सर्गः 3 = = = = = = मञ्जर्या उदाहरणम्। // 149 // IIIIIIIIIIRISISTEle मक्ष्यमाणेषु लोकेषु राक्षसेन दुरात्मना / द्रुतं गर्मपुरं राजा प्राप्तो बन्धुजनैः समम् क्रव्यादोऽपि जनं कृत्स्नं व्यापाद्य पुरवासिनम् / कूपसोपानमार्गेण कालादत्राप्युपेतवान् स हत्वा बन्धुभिः सार्धं राजानं पितरं मम / ररक्ष केवलं कन्यां मामेकां दारकर्मणा इतो दिनत्रयावं तस्मिन् मां वोढुमिच्छति / मनसा शरणं देवीं वैरोव्यां स्मृतवत्यहम् सोऽपि स्वमप्रसन्ना मे ददौ रक्षोधनं वरम् / तच्च सत्यमिवाभाति भीष्मेन त्वं कुतोऽन्यथा तद् नीत्वा मत्पितुः खड्गमितो गुप्तो भव क्षणम् / मृगया विनिवृत्तोऽयं नूनमायाति राक्षसः तद्विद्याराधनध्यानं कुर्वनेष निहन्यताम् / न दुर्लभा हि धीराणां जयश्री छलयोधिनाम् तथेति तद्वचः कुर्वन् सोऽपि संप्राप्य तत्क्षणम् / जघान राक्षसं वीरो वैरोट्यावरगर्वितः परिणीय च तां भूयस्ततो निर्गन्तुमुत्सुकः / स सिपेवे वटद्वारं प्रियावित्तसमन्वितः कदाचित् पूर्ववत् कैश्चित् संप्राप्तः सलिलार्थिभिः / स कृष्ट्वा पोतनाथेन कारितः सह सङ्गमम् पोतेशस्तद्वधूलुब्धः क्षिप्त्वा प्रवहणे निजे / रजन्यां जलधेमध्ये तं प्रमत्तमपातयत् स पतन् गिलितः शीघ्रं महामत्स्येन वारिधौ / दधौ जठरमध्येऽपि धैर्य गाथार्थचिन्तया वार्डों तं क्षिप्तमाख्याय सार्थेशेनापि तत्प्रिया / अर्थिता रतिमातीर्थ ययाचे नियमावधि सोऽपि तं वेलया क्षिप्तं दारयद्भिस्तिमिङ्गिलम् / कान्तीशस्यैव कैवतः संप्राप्य प्राभृतीकृतः // 41 // // 42 // // 43 // // 44 // / / 45 // // 46 // // 47 // // 48 // // 49 // // 50 // // 51 // // 52 // DIGIAII ताजा // 54 // // 149 //