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________________ DELHI-SHI SI वेषभाषाविभेदोक्त्या चित्तार्थग्राहिणोऽपि ते / पश्यन्तोऽपि प्रयत्नेन नलभैम्यौ न लेभिरे // 11 // ततः सुदेवशाण्डिल्यौ नाम्ना वीरौ वचोहरौ / तत्रैवाजग्मतुर्दैवात वैदर्भी यत्र वर्त्तते // 12 // तत्र श्रीभीमभूभर्तुः सभार्याय महीपतेः / तस्मै तौ नलवैदोरत्याहितमशंसताम् // 13 // तच्छ्रुत्वा सोऽपि शोकातः स्वसंबद्धासु भूमिषु / यत्नेन नलवैदोरन्वेषणमचीकर // 14 // स्वयं सुदेवशाण्डिल्यौ पश्यतः स्म च सर्वतः / तत्र खियं पुमांसं वा सर्व युक्त्या तया तया // 15 // स्थापितौ तेन तौ राज्ञा तत्रैवाफाल्गुनोत्सवम् / स दासमपि भीमस्य भृत्यं हि बहु मन्यते तदा ताभ्यां सुनन्दायाः कुर्वत्याः पितृमङ्गलम् / ददृशेऽनुचरी भैमी पूर्णपात्रकरा सखी प्रत्यभिज्ञाय तौ तस्याः सङ्गृह्य चरणौ जवात् / दत्ता_विव बाष्पौषैरिति चक्रन्दतुः शुचा // 18 // यस्यास्तव हि जानन्ति जगन्ति त्रीणि वैभवम् / सादेवि दमयन्ति ! त्वं कथमित्थं व्यवस्थिता? // 19 // अद्य त्रपाकुलः स्वर्गः पातालं च शुचाकुलम् / सुरासुरगणस्तुत्या यदि त्वं भैमि ! वर्तसे // 20 // त्वमात्मा भोजवंशस्य त्वं निधिनैषधायुषः / उत्साहस्त्वं महर्षीणां लक्ष्मीस्त्वमनुजीविनाम् // 21 // अथवा किं बहूक्तेन के वयं त्वद्गुणस्तुतौ ? / वेत्ति चेत् तब माहात्म्यं स्वयं देवी सरस्वती // 22 // प्रसीद त्यज गूढत्वं चर्येयं तव कीदृशी / कृतार्थय शुचा नां बन्धूनां देवि ! जीवितम् // 23 // भवन्तु त्वन्मुखालोकरसास्वादप्रसेदुषः। अद्य देवस्य भीमस्य निःश्वासानां समाप्तयः // 24 // 15HI || FIIEIHI HIT ISIFISI
SR No.600449
Book TitleNalayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2001
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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