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________________ पश्चमे स्कन्धे सर्गः 9 // 116 // IIII SMSSISTIANITIATI ATHII. आजीवितान्तमात्मीयं वपुर्वित्तं तयोः पुरः / चक्रे तदा तदायत्तं सत्यवादी स पार्थिवः // 19 // ततः कृतार्थयोः सख्योाजपूर्व प्रयातयोः / दयितो रन्तुमारेमे कन्याविश्रम्भनागरः // 20 // तस्या वामस्वभावेन बालावस्थानुयायिना / स कामी दृष्टिरागोऽपि क्षणं पर्याकुलोऽभवत् // 21 // तैस्तैर्मृदुभिरक्लिष्टरुपायैः परिशीलयन् / दुष्मन्तः स्वेच्छया रेमे वशीकृत्य शकुन्तलाम् // 22 // स पूर्वविरहव्यग्रां गच्छन्नापृच्छय वल्लभाम् / तस्या मनोविनोदार्थमित्यदादलीयकम् // 23 // मन्नामवर्णमेवैकं त्वमत्र गणयान्वहम् / तदन्ते त्वां समानेतुं समेष्यति जनो मम // 24 // आशापाशनिबद्धन हृदयेन वियोगिनी / साऽपि तद्गणनासक्ता कथश्चिद् जीवितं दधौ // 25 // इत्योघसंज्ञया तस्याः कुर्वत्याः प्राणधारणम् / यावत् पर्याप्तकालोऽभूत् स वर्णगणनक्रमः // 26 // तावत् तदुटजद्वारि पाणिपात्रो दिगम्बरः / अशनायान्वितो मौनी दुर्वासा भिक्षुराययौ // 27 // महन्मुनिवरे तस्मिन् प्रमद्वरतया तया / बभूव स्खलितातिथ्या मिथ्यात्वरहिताऽपि सा // 28 // ततो मुनिमुखेनैव पूज्यातिक्रमकोपिनः / द्राक तिर्यग्जृम्भका देवाः स्फुटमित्यशपन्त ताम् // 29 // स्मरन्तीयं न जानीपे ममाप्यतिथिमागतम् / मत्तवत् पूर्ववात् त्वां न स्मर्त्ता स्मारितोऽपि सः // 30 // श्रुत्वा तं शापमाप्ताम्यां सखीम्यां स मुनिद्रुतम् / अनुव्रज्य पुरः स्थित्वा मुहुर्नत्वाऽन्वनीयत // 31 // दीनामशरणां शून्यां वाला विरहविह्वलाम् / शकुन्तलां च विज्ञाय प्रसेदुर्व्यन्तरामराः // 32 // दमयन्त्या आश्वासनाय चारणश्रमणैः कथितं शाकुन्तलाख्यानकम्। MIRSINHIII // 1
SR No.600449
Book TitleNalayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2001
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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