________________ araca 12OMewaseaseDESHERE // अहम् // वर्धमान-सत्य-नीति-हर्षसूरि-जैनग्रंथमाला नं.-२१ चान्द्रकुल-तपागच्छ-संविग्नशाखाग्रणी-तीर्थोद्धारक-आचार्यश्री विजय-नीति-हर्ष-सूरीश्वरसद्गुरुभ्यो नमः / न्यायविशारद न्यायाचार्य श्रीमद् यशोविजयवाचकविरचित-स्वोपज्ञ-शिशुबोधिनी-व्याख्यासमलंकृतं --- ज्ञानसाराष्टकम् // मङ्गलाचरणम् // दीव्यवद्धिनताय द्वेषहुतभुगनीराय वैराग्यता-धीकासद्विभवाय संमृतिसरस्तीराय धीरात्मने / स्याद्वादागमदेशिने जनमनो मान्दकीरायते, प्रत्यूहोपशमाय कान्तमनसे वीराय नित्यं नमः // 1 // enawar ग्रन्थस्य ज्ञानसागस्य, श्रीयशोविजयः कृताम् / भाषां हि संस्कृतां कुर्वे, विदुषां मोददायिनीम् // 2 // // अथ पूर्णाष्टकम् // ऐन्द्रश्रीसुखमग्नेन, लीलालग्नमिवाखिलम् / सच्चिदानन्दपूर्णेन, पूर्णं जगदवेक्ष्यते // 1 //