________________ बावश्यकनियुक्तेरवचूर्णिः नमस्कारनियुक्तिः नि० गा० 9951002 // 423 // आचरन्तो अनुष्ठानरूपेण, तथा प्रभाषमाणा व्याख्यानेन, दर्शयन्तः प्रत्युपेक्षणादिद्वारेण // 994 // अमुमेवार्थमाहआयारो नाणाई तस्सायरणा पभासणाओ वा / जे ते भावायरिया भावायारोवउत्ता य // 995 // तस्याचरणात् प्रभाषणाद्वा, वाशब्दाद्दर्शनाद्वा हेतोर्ये मुमुक्षुभिर्गुणैर्वा ज्ञानादिभिराचर्यन्ते ते भावाचार्या उच्यन्ते, भावार्थमाचारो भावाचारस्तदुपयुक्ताश्च // 995 // आयरियणमोकारो जीव०॥९९६॥ आयरियनमुक्कारो धन्नाण०॥९९७॥ आयरियनमुकारो एवं०॥९९८॥ आयरियनमुकारो सव्व० तइ होइ मंगलं // 999 // . गाथाचतुष्कं सुगमं // 996-999 // नाम ठवणादविए भावंमि चउब्विहो उवज्झाओ। दवे लोइअ सिप्पाइ निण्हगा वा इमे भावे // 1000 // निह्नवा द्रव्योपाध्यायाः॥१०००॥ बारसंगो जिणक्खाओ सज्झाओ कहिओ बुहेहिं / तं उवइसंति जम्हा उवज्झाया तेण वुचंति // 1001 // बुधैर्गणधरादिभियः, उपेत्याऽधीयते एभ्यः साधवः (धुभिः) सूत्रमित्युपाध्यायाः॥१००१॥ आगमशैल्या उपाध्यायशब्दार्थमाहउत्ति उवओगकरणे ज्झत्ति अ झाणस्स होइ निद्देसे / एएण हुँति उज्झा एसो अन्नोऽवि पज्जाओ॥१००२॥ उ इत्यक्षरमुपयोगकरणे वर्त्तते, ज्झ इति ध्यानस्य भवति निर्देशे, ततश्च प्राकृतत्वादेतेन भवति उज्झा, उपयोगपुरस्सर // 423 //