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________________ आवश्यकनियुक्तेरव चूर्णिः // 217 // तीर्थकरपर्यायाः नि० गा०२९६३०१ मल्लेवर्षशतं गृहवासः, शेषं तु सर्वमायुव॑तपर्यायः, तच्चतुःपञ्चाशद्वर्षसहस्राणि नव च शतानि // 295 // अट्ठमा सहस्सा, कुमारवासो उ सुव्वयजिणस्स / तावइ परिआओ, पण्णरससहस्स रज्जंमि // 296 // सार्द्धसप्तवर्षसहस्राणि कुमारवासः सुव्रतस्य, तावदेव व्रतपर्यायः, पञ्चदश वर्षसहस्राणि राज्ये // 296 // नमिणो कुमारवासो, वाससहस्साइ दुण्णि अद्धं च / तावइ परिआओ, पंचसहस्साई रज्जंमि // 297 // ___ नमः कुमारवासः सार्द्धवर्षसहस्रद्वयं, तावदेव व्रतपर्यायः, पञ्च वर्षसहस्राणि राज्ये // 297 // तिण्णेव य वाससया, कुमारवासो अरिट्टनेमिस्स / सत्त य वाससयाई, सामण्णे होइ परिआओ // 298 // त्रीणि वर्षशतानि कुमारवासो नेमेः, सप्तवर्षशतानि श्रामण्यविषयः पर्यायः // 298 // .. पासस्स कुमारत्तं, तीसं परिआओ सत्तरी होइ / तीसा य वद्धमाणे, बायालीसा उ परिआओ // 299 // पार्श्वस्य कुमारत्वं त्रिंशद्वर्षाणि, व्रतपर्यायः सप्ततिवर्षाणि, वर्द्धमानविषयो गृहवासस्त्रिंशद्वर्षाणि, द्वाचत्वारिंशद्वर्षाणि व्रतपर्यायः // 299 // सम्प्रति केवलिपर्यायो वक्तव्यः, स च श्रामग्यपर्यायाच्छद्मस्थपर्यायापगमे स्वयमेव ज्ञेयः, अथ पूर्वोक्तमेव श्रामण्यपर्यायं स्मारयति उसभस्स पुव्वलक्खं, पुव्वंगूणमजिअस्स तं चेव / चउरंगूणं लक्खं, पुणो पुणो जाव सुविहित्ति // 300 // व्याख्या पूर्ववत् // 30 // सेसाणं परिआओ, कुमारवासेण सहिअओ भणिओ। पत्तेअंपि अ पुव्वं, सीसाणमणुग्गहट्ठाए // 301 // | |217 // बाचू०१९
SR No.600447
Book TitleAvashyak Sutra Niryukterev Churni Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay
PublisherDevchandra Lalbhai Jain Pustakoddhar Fund
Publication Year1965
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size37 MB
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