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________________ आवश्यकनिर्युक्तेरव चूर्णिः EXBXXXXXXXX कुमारवासादिपर्यायः नि० गा० 289-295 // 216 // राज्यपर्यायाभावः॥२८८॥ पण्णरस सयसहस्सा, कुमारवासो अ तीसई रज्जे / पण्णरस सयसहस्सा, परिआओ होइ विमलस्स // 289 // पञ्चदशवर्षलक्षाणि कुमारवासः, त्रिंशद्वर्षलक्षाणि राज्ये पञ्चदशवर्षलक्षाणि व्रतपर्यायो भवति विमलस्य // 289 // अट्ठमलक्खाई, वासाणमणंतई कुमारत्ते / तावइ परिआओ, रज्जंमी हुंति पण्णरस // 29 // सार्द्धसप्तवर्षलक्षाण्यनन्तजिनकुमारत्वं, तावदेव व्रतपर्यायः, राज्ये पञ्चदशवर्षलक्षाणि // 29 // धम्मस्स कुमारत्तं, वासाणड्डाइआई लक्खाई। तावइ परिआओ, रजे पुण हुँति पंचेव // 291 // धर्मस्य कुमारत्वं सार्द्धवर्षलक्षद्वयं, तावदेव व्रतपर्यायः राज्ये पञ्च वर्षलक्षाणि // 291 // संतिस्स कुमारत्तं, मंडलियचकिपरिआअ चउसुंपि / पत्तेअं पत्तेअं, वाससहस्साई पणवीसं // 292 // शान्तेश्चतुर्वपि स्थानेषु प्रत्येकं प्रत्येकं पञ्चविंशतिवर्षसहस्राणि // 292 // एमेव कुंथुस्सवि, चउसुवि ठाणेसु हुँति पत्तेअं। तेवीससहस्साई, वरिसाणट्ठमसया य // 293 // एवमेव शान्तेरिव कुन्थोरपि चतुर्वपि स्थानेषु प्रत्येकं त्रयोविंशतिवर्षसहस्राणि सार्द्धसप्तवर्षशतानि च // 293 // एमेव अरजिणिदस्स, चउसुवि ठाणेसु हुंति पत्तेअं। इगवीस सहस्साई, वासाणं हुति णायव्वा // 294 // एवमेवारजिनेन्द्रस्य चतुर्ध्वपि स्थानेषु एकविंशतिवर्षसहस्राणि // 294 // मल्लिस्सवि वाससयं, गिहवासे सेसयं तु परिआओ। चउप्पण्णसहस्साई, नव चेव सयाई पुण्णाई // 295 // // 216 //
SR No.600447
Book TitleAvashyak Sutra Niryukterev Churni Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay
PublisherDevchandra Lalbhai Jain Pustakoddhar Fund
Publication Year1965
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size37 MB
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