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________________ आवश्यकनिर्युक्तेरव कुमारवासादिपर्याय: नि० गा० 277-278 चूर्णिः // 213 // चउपण्णं पण्णरस, तत्तो अट्ठमाइ लक्खाई / अड्डाइजाई तओ, वाससहस्साई पणवीसं // 274 // चतुःपञ्चाशद्वर्षलक्षाणि 12, पञ्चदशवर्षलक्षाणि 13, सार्द्धसप्तलक्षाणि 14, सार्द्धवर्षलक्षद्वयं 15, पञ्चविंशतिवर्ष- सहस्राणि 16 // 274 // तेवीसं च सहस्सा, सयाणि अट्ठमाणि अहवंति / इगवीसं च सहस्सा, वाससउणा य पणपण्णा // 27 // त्रयोविंशतिवर्षसहस्राणि सार्द्धसप्तशताधिकानि 17, एकविंशतिर्वर्षसहस्राणि 18, वर्षशतन्यूनानि पञ्चपश्चाशद्वर्षसहस्राणि 19 // 275 // अट्ठमा सहस्सा अड्डाइजा य सत्त य सयाई / सयरी बिचत्तवासा, दिक्खाकालो जिणिंदाण // 276 // सार्द्धसप्तवर्षसहस्राणि 20, सार्द्धवर्षसहस्रदयं 21, सप्तवर्षशतानि 22, सप्ततिवर्षाणि 23, द्विचत्वारिंशद्वर्षाणि 24, | एष दीक्षाकालो जिनेन्द्राणां यथाक्रमं ज्ञेयः॥ 276 // अथ कुमारवासादिपर्यायान् प्रतिपादयन्नाह उसभस्स कुमारत्तं, पुवाणं वीसई सयसहस्सा। तेवढी रजंमी, अणुपालेऊण णिक्खंतो॥ 277 // ऋषभस्य कुमारत्वं पूर्वाणां-७०५६०००००००००० एतावद्वर्षप्रमितानां विंशतिः शतसहस्राणि लक्षाणीत्यर्थः, त्रिषष्टिः पूर्वलक्षाणि राज्येऽनुपाल्य-गमयित्वा पश्चान्निष्कान्तः, एक पूर्वलक्षं शेष व्रतपर्यायः // 277 // अजिअस्स कुमारत्तं, अट्ठारस पुब्वसयसहस्साई / तेवण्णं रज्जंमी, पुव्वंग चेव बोद्धव्वं // 278 // अजितस्य कुमारत्वं पूर्वमष्टादशलक्षाणि त्रिपञ्चाशत्पूर्वलक्षाणि राज्ये एक च पूर्वाङ्गं बोद्धव्यं, शेषमेकं पूर्वाङ्गोनं पूर्वलक्षं // 213 //
SR No.600447
Book TitleAvashyak Sutra Niryukterev Churni Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay
PublisherDevchandra Lalbhai Jain Pustakoddhar Fund
Publication Year1965
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size37 MB
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