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________________ आवश्यकनियुक्तेरव चूर्णिः // 206 // ज्ञानोत्पादन दिननक्षत्र नामानि |नि० गा० HIR41-248 मासाः 10 द्वौ मासौ 11 एको मासः 12 द्वौ मासौ 13 // 238 // वक्ष्यमाणवर्षशब्दसम्बन्धात् त्रीणि वर्षाणि 14, द्वे वर्षे 15, एक वर्ष 16, षोडश वर्षाणि 17, त्रीणि दिनानि 18, अहोरात्रमेकं 19, एकादश मासाः 20, नव मासाः 21, चतुःपञ्चाशदिनानि 22, चतुरशीतिर्दिनानि 23 // 239 // तथेति समुच्चये, द्वादश वर्षाणि किश्चित्सातिरेकाणि ग्राह्याणि 24, एतज्जिनानां च्छद्मस्थकालपरिमाणं, सर्वेषामपि च तीर्थकृतां च्छद्मस्थकाले तपाकर्म उग्रमितरजन्तुभिर्दुरध्यवसेयं विशेषतो वर्द्धमानस्य सम्बन्धि तपो दुरध्यवसेयं, वक्ष्यमाणन्यायेन सोपसर्गत्वादपानकत्वाद्वहुत्वाच्च // 24 // अथ ज्ञानोत्पादनद्वारमाहफग्गुणबहुलिकारसि, उत्तरसाढाहि नाणमुसभस्स 1 / पोसिक्कारसि सुद्धे, रोहिणिजोएण अजिअस्स 2 // 241 // कत्तिअबहुले पंचमि, मिगसिरजोगेण संभवजिणस्स पोसे सुद्धचउद्दसि, अभीइ अभिणंदणजिणस्स४॥२४२॥ चित्ते सुद्धिकारसि, महाहि सुमइस्स नाणमुप्पण्णं५। चित्तस्स पुषिणमाए, पउमाभजिणस्स चित्ताहिं 6 // 243 // फग्गुणबहुले छट्ठी, विसाहजोगे सुपासनामस्स 7 / फग्गुणबहुले सत्तमि, अणुराह ससिप्पहजिणस्स 8 // 244 // कत्तिअसुद्धे तइया, मूले सुविहिस्स पुप्फदंतस्स९।पोसे बहुलचउद्दसि, पुव्वासाढाहि सीअलजिणस्स 10 // 245 // पण्णरसि माहबहुले, सिजंसजिणस्स सवणजोएणं 11 / सयभिय वासुपुज्जे, बीयाए माहसुद्धस्स 12 // 246 // पोसस्स सुद्धछट्ठी, उत्तरभद्दवय विमलनामस्स 13 / वइसाहबहुलचउदसि, रेवइजोएणणंतस्स 14 // 247 // पोसस्स पुण्णिमाए, नाणं धम्मस्स पुस्सजोएणं 15 / पोसस्स सुद्धनवमी, भरणीजोगेण संतिरस 16 // 248 // 美家表来来来来来来来来来来来来来来 // 206 //
SR No.600447
Book TitleAvashyak Sutra Niryukterev Churni Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay
PublisherDevchandra Lalbhai Jain Pustakoddhar Fund
Publication Year1965
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size37 MB
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