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________________ आवश्यकनिर्यक्रव- चूर्णि // 145 // उपशमक्षपकरण्यो स्थापना सर्वेषां च कर्मग्रन्थकाराणामसम्मतत्वात् , केवलं वृत्तिकृता केनाप्यभिप्रायेण लिखितमिति सूत्रेऽप्येता गाथाः प्रवाहपतिताः, | नियुक्तिकारकृतास्त्वेता न भवन्ति // 124-126 // स्थापना [उपशमक्षपकश्रेण्योः]उपशमश्रेणिः क्षपकश्रेणिः सं० लोभः | सं० लोभ अप्र० लोभः |प्र० लोभः |सं० माया सं० माया | | सं० मान अप्र० माया प्र० माया| |सं० क्रोध | सं० मान | पुवेद | अप्र० मान प्र०मान | | हास्य | रति | अरति | भव | शोक | जुगुप्सा | |सं० क्रोधः। | स्त्रीवेद। |अप्र. क्रोधः | प्र. क्रोधः | | नपुं०वेद| | पुंवेद| | अप्र० प्र० | हास्य | रति भरति | भय | शोक | जुगुप्सा | क्रोध क्रोधमान मान माया माया लोभ लोभ |स्त्रीवेद | सम्यक्त्व मिश्र नपुं० वेद | मि. मिश्र० सम्य] मिथ्यात्व अन० क्रोध भन० मान मन० माया | मन लोभ | अन०क्रोध भन०मान अन० माया अन०लोभ| EXXXXXXXXXXXXXXXXXXX अप्र० प्र० अप्र० प्र० // 145 // मा०चू०१३/
SR No.600447
Book TitleAvashyak Sutra Niryukterev Churni Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay
PublisherDevchandra Lalbhai Jain Pustakoddhar Fund
Publication Year1965
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size37 MB
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