________________ श्रीभगवत्या श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1174 // तएणं से मायिमिच्छा० देवे तं अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नगं देवं एवं व०- परिणममाणा पो० नो परिणया अपरि० परिणमंतीति पो० नो परि० अपरि०, तए णं से अमायिसम्मी० देवे तं मायिमिच्छदिट्ठीउववन्नगं देवं एवं व०- परिणममाणा पो० परि० नो अपरि० परिणमंतीति पो० परिणया नो अपरि०, तंमायिमिच्छदिट्ठीउववन्नगं एवं पडिहणइ 2 ओहिं पउंजइ ओहिं 2 ममं ओहिणा आभोएइ ममं 2 अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु समणे भ० म० जंबुद्दीवे 2 जे० भारहे वासे जे० उल्लुयतीरे नगरे जे० एगजंबुए चेइए अहापडिरूवंजाव विहरति, तंसेयं खलु मे समणं भ० म० वंदित्ताजाव पञ्जु० इमं एयारूवं वागरणं पुच्छित्तएत्तिक? एवं संपेहेइ एवं रत्ता चउहिवि सामाणियसाहस्सीहिं परियारोजहा सूरियाभस्स जाव निग्घोसनाइयरवेणंजे० जंबुद्दीवे 2 जे० भारहे वासे जे० उल्लयातीरे नगरे जे० एगजंबुए चेइए जे० ममं अंतियं तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तएणं से सक्के दे देव० तस्स देवस्सतं दिव्वं देवढि दिव्वं देवजुतिं दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं तेयलेस्सं असहमाणे ममं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाइंपु० संभंतिय जाव पडिगए। सूत्रम् 574 // ३जावंचणंसमणे भगवं महावीरे भगवओगोयमस्स एयमटुंपरिकहेति तावंचणं से देवे तं देसं हव्वमागए, तए णं से देवेसमणं भ० म० तिक्खुत्तो वं० न०२ एवं व०- एवं खलु भंते! महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे एगे मायिमिच्छदिट्ठिउववन्नए देवे ममं एवं व०-परिणममाणा पोग्गलानो परिणया अपरिणया परिणमंतीति पो० नोपरिणया अपरिणया, तएणं अहंतंमायिमिच्छदिट्ठिउववन्नगं देवं एवं वयासी-परिणममाणा पो० परिणया नो अपरि० परिणमंतीति पो० परिणया णो अपरि०, सेकहमेयं भंते! एवं?, गंगदत्तादि समणे भगवं महावीरे गंगदत्तं एवं व०- अहंपिणं गंगदत्ता! एवमाइक्खामि 4 परिणममाणा पो० जाव नो अपरिणया सच्चमेसे अढे, तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्स भ० म० अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्टे समणं भगवं महावीरं वंदति नमं० 2 नच्चासन्ने जाव पजुवासति, 4 तए णं समणे भ० म० गंगदत्तस्स देवस्स तीसे य जाव धम्मं परिकहेइ जाव आराहए भवति, तए णं से गंगदत्ते देवे 16 शत उद्देशक:५ सूत्रम् 573 शक्रस्याष्टोत्क्षिप्तप्रश्नाः सूत्रम् 574 परिणममाणा: परिणताः सूत्रम् 575 गङ्गदत्तकृतवन्दनादि // 1174 //