SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 95
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1173 // 16 शतके उद्देशक: 5 सूत्रम् 573 शक्रस्याष्टोक्षिप्तप्रश्नाः सूत्रम् 574 परिणममाणा: परिणताः ॥षोडशशतके पञ्चमोद्देशकः॥ चतुर्थोद्देशके नारकाणां कर्मनिर्जरणशक्तिस्वरूपमुक्तम्, पञ्चमे तु देवस्यागमनादिशक्तिस्वरूपमुच्यत इत्येवंसम्बद्धस्यास्येदमादिसूत्रं 1 तेणं कालेणं तेणं समएणं उल्लयतीरे नामं नगरे होत्था वन्नओ, एगजंबूए चेइए वन्नओ, तेणं कालेणं 2 सामी समोसढे जाव परिसा पब्रुवासति, तेणं कालेणं २सक्के देविंदे देवराया वजपाणी एवं जहेव बितियउद्देसए तहेव दिव्वेणंजाणविमाणेणं आगओ जाव जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 जाव नमंसित्ता एवं व०- देवेणंभंते! महड्दिए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू आगमित्तए?, नो तिणढे समढे, देवे णं भंते! मह जाव महे० बाहिरए पो० परियाइत्ता पभू आग०?, हंता पभू, देवेणं भंते! मह एवं एएणं अभिलावेणं गमित्तए 2 एवं भासि० वा वाग० वा 3 उम्मिसावेत्तए वा निमिसावेत्तए वा 4 आउट्टावेत्तए वा पसारेत्तए वा 5 ठाणं वा सेजंवा निसीहियंवा चेइत्तए वा 6 एवं विउव्वित्तए वा 7 एवं परियारावेत्तए वा 8 जाव हंता पभू, इमाई अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाई पुच्छइ, इमाई 2 संभंतियवंदणएणं वंदति संभंतिय०२ तमेव दिव्वं जाणविमाणं दुरूहति 2 जामेव दिसंपाउन्भूए तामेव दिसंपडिगए।सूत्रम् 573 // 2 भंतेत्ति भगवंगोयमे समणं भ० म०व० न०२ एवं व०- अन्नदाणं भंते! सक्के देविंदे देवराया देवाणुप्पियं वं नमसति सक्कारेति जाव पब्रुवासति, किण्हं भंते! अज्न सक्के दे० देव० देवा० अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाई पुच्छइ 2 संभंतियवंदणएणं वं० ण०२ जाव पडिगए?, गोयमादि समणे भगवं म० भगवं गोयम एवं व०- एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं 2 महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे दो देवा महड्डिया जाव महेसक्खा एगविमाणंसि देवत्ताए उववन्ना, तं०-मायिमिच्छदिट्ठिउववन्नए य अमायिसम्मदिट्ठि० य, // 1173 //
SR No.600445
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy