________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1587 // व्याख्यातेप्राक्शते व्याख्या, कृतैवास्य समत्वतः। एकत्र तोयचन्द्रे हि, दृष्टे दृष्टाः परेऽपि ते॥१॥ 32 शतके उद्देशकः 1-28 सूत्रम् 842-843 उद्वर्त्तना // इति श्रीमच्चन्द्रकुलनभोनभोमणिश्रीमदभयदेवाचार्यवर्यविहितविवरणयुतं श्रीमद्भगवतीवृत्तौ द्वात्रिंशत्तमं शतकं समाप्तम् // // 1587 //