SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1123 // १५शतके सूत्रम् 550 गोशालकशते परावृत्त पहिारः कुंचियकेसए मट्ठगंडतलकन्नपीढए देवकुमारसप्पभए दारए पयायति, से णं अहं कासवा!, तेणं अहं आउसो! कासवा! कोमारियपव्वजाए कोमारएणं बंभचेरवासेणं अविद्धकन्नए चेव संखाणं पडिलभामि सं० 2 इमे सत्त पउट्टपरिहारे परिहरामि, तंजहाएणेजगस्स मल्लरामस्स मल्लमंडियस्स रोहस्स भारद्दाइस्स अजुणगस्स गोयमपुत्तस्स गोसालस्स मंख०, तत्थ णं जेसे पढमे पउट्टपरिहारे सेणं रायगिहस्स नगरस्स बहिया मंडियकुच्छिंसि चेइयंसि उदाइस्स कुंडियायणस्स सरीरं विप्पजहामि, उदा०२ एणेजगस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, एणे०२ बावीसं वासाइं पढमं पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णंजे से दोच्चे पउट्टपरिहारे से उदंडपुरस्स नगरस्स बहिया चंदोयरणंसि चेइयंसि एणेजगस्स सरीरगं विप्प० रत्ता एणे० मल्लारामस्स सरीररगं अणुप्प०, मल्ल०२ एकवीसं वासाइंदोच्चं प०परि० परि०, तत्थ णं जे से तच्चे पउट्टपरिहारे से णं चंपाए नगरीए बहिया अंगमंदिरंमिचेइयंसि मल्लरामस्स सरीरगं विप्प०, मल्ल० मंडियस्स सरीरगं अणुप्प०, मल्लमंडि०२ वीसं वासाइंतच्च प०परि० परि०, तत्थ णंजे से चउत्थे पउट्टपरिहारे से णं वाणारसीए नगरीए बहिया काममहावणंसि चेइयंसि मंडियस्स सरीरगं विप्प०, मंडि०२ रोहस्स सरीरगं अणुप्प०, रोह० 2 एकूणवीसंवासाइ यचउत्थं प०परि० परि०, तत्थ णं जे से पंचमे पउट्टपरिहारे सेणं आलभियाए नगरीए बहिया पत्तकालगयंसि चेइयंसि रोहस्स सरीरगं विप्प०, रोह०२ भारद्दाइस्स सरीरगं अणुप्प०, भा०२ अट्ठारस वासाई पंचमं प०परि० परि०, तत्थ णं जे से छट्टे पउट्टपरिहारे से णं वेसालीए नगरीए बहिया कोंडियायणंसि चेइयंसि भारदाइयस्स सरीरं विप्प०, भा०२ अञ्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं अणुप्प०,अ०२ सत्तर वासाई छटुं प०परि० परि०, तत्थ णं जे से सत्तमे पउट्टपरिहारे से णं इहेव सावत्थीए नगरीए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्प० अब्रुणयस्स 2 गोसालस्स मंख० सरीरगं अलं थिरं धुवंधारणिज्जं सीयसहं उण्हसहं खुहासहं विविहदंसमसगपरीसहोवसग्गसहं थिरसंघयणंतिकट्टतं अणुप्प०, तं० 2 तं से णं सोलस वासाई इमं सत्तमं पउट्टपरिहारं परि०, // 1123 //
SR No.600445
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy