________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-३ / / 1519 // २५शतके उद्देशक: 7 सूत्रम् 789-792 कालगतिसंयमस्थानचरित्रपर्यवाः occccccc अब्भहिए अणंतगुणहीणे, एवं अहक्खायसंजयस्सवि, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, हेट्ठिल्लेसुतिसुवि समं छट्ठाणवडिए उवरिल्लेसु दोसु तहेव हीणे, जहा छेदोवट्ठावणिए तहा परिहारविसुद्धिएवि, 41 सुहुमसंपरागसंजएणंभंते! सासंजयस्स परट्ठाण पुच्छा, गोयमा! नो हीणे नो तुल्ले अब्भहिए अणंतगुणमन्भहिए, एवं छेओवट्ठावणियपरिहारविसुद्धिएसुवि समं सट्ठाणे सिय हीणे नो तुल्ले सिय अब्भहिए, जड़ हीणे अणंतगुणहीणे अह अब्भहिए अणंतगुणमब्भहिए, 42 सुहमसंपरायसंजयस्स अहसंजयस्स परट्ठाणे पुच्छा, गोयमा! हीणे नो तुल्ले नो अब्भहिए अणंतगुणहीणे, अहक्खाए हेट्ठिल्लाणं चउण्हवि नो हीणे नो तुल्ले अब्भहिए अणंतगुणमब्भहिए, सट्ठाणे नो हीणे तुल्ले नो अब्भहिए। 43 एएसि णं भंते! सा०छेदोवट्ठा०परिहारवि०सुहुमसं० अहसंजयाणं जहन्नुक्कोसगाणं चरित्तपज्जवाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सा०संजयस्स छेओवट्ठावणियसंजयस्स य एएसिणं जहन्नगा चरित्तपज्जवा दोण्हवि तुल्ला सव्वत्थोवा परिहारविसुद्धियसंजयस्स जहन्नगा चरित्तप० अणंतगुणा तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा सा०संजयस्स छेओवट्ठावणिय संजयस्स य एएसिणं उक्कोसगा चरित्तप० दोण्हवि तुल्ला अनंतगुणा सुहुमसंपरायसंजयस्स जहन्नगा चरित्तप० अणंतगुणा तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तप० अणंतगुणा अहसंजयस्स अजहन्नमणुक्कोसगा चरित्तप० अणंतगुणा 15 // 44 सा०संजए णं भंते! किं सजोगी होजा अजोगी होजा?, गोयमा! सजोगी जहा पुलाए एवं जाव सुहमसंपरायसंजए अहक्खाए जहा सिणाए 16 // 45 सा०संजएणं भंते! किं सागारोवउत्ते होजा अणागारोवउ०?, गोयमा! सागारोवउत्ते जहा पुलाए एवं जाव अहक्खाए, नवरं सुहुमसंपराए सागारोवउत्ते होज्जा नो अणागारोवउत्ते होज्जा 17 // 46 सा०संजए णं भंते! किं सकसायी होज्जा अक० होजा?, गोयमा! सक० होजानो अक० होज्जा, जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए, 47 सुहमसं०संजए पुच्छा, गोयमा! सकसायी होज्जा नो अक० होजा?, 48 जइ सकसायी होजा से णं भंते! कतिसु कसायेसु 8 // 1519 //