________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1518 // 25 शतके उद्देशक: सूत्रम् 789-792 कालगतिसंयमस्थानचरित्रपर्यवाः जाव अजहन्नमणुक्कोसेणं अणुत्तरविमाणेसु उव०, अत्थेगतिए सिझंति जाव अंतं करेंति // 30 सामाइयसंजएणं भंते! देवलोगेसु उववजमाणे किं इंदत्ताए उववज्जति पुच्छा, गोयमा! अविराहणं पडुच्च एवं जहा क०कुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए, सेसा जहा नियंठे।३१ सा०संजयस्सणं भंते! देवलोगेसु उववजमाणस्स केवतियं कालं ठिती प०?, गोयमा! ज० दो पलिओवमाई, उ० तेत्तीसंसागरोवमाइं, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, 32 परिहारविसुद्धियस्स पुच्छा, गोयमा! ज० दो पलिओवमाई उ० अट्ठारस सागरोवमाइं, सेसाणंजहा नियंठस्स 13 // सूत्रम् 790 // 33 सामाइयसंजयस्सणंभंते! केवइया संजमट्ठाणा पन्नत्ता?, गोयमा! असंखेज्जा संजमट्ठाणा प०, एवं जावपरिहारविसुद्धियस्स, 34 सुहमसंपरायसंजयस्स पुच्छा, गोयमा! असंखेजा अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा प०, 35 अहसंजयस्स पुच्छा, गोयमा! एगे अजहन्नमणुक्कोसए संजमट्ठाणे / 36 एएसि णं भंते! सामाइयछेदोवट्ठावणियपरिहारविसुद्धियसुहुमसंपरागअहक्खायसंजयाणं संजमट्ठाणाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वत्थोवे अहसंजमस्स एगे अजहन्नमणुक्कोसए संजमट्ठाणे सुहुमसं०संजयस्स अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा असंखेनगुणा परिहारविसद्धियसंजयस्स संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा सा०संजयस्स छेदोवट्ठा०संजयस्सय एएसिणं संजमट्ठाणा दोण्हवि तुल्ला असंखेज्जगुणा 14 // सूत्रम् 791 // 37 सामाइयसंजयस्सणं भंते! केवइया चरित्तपज्जवा प०?, गोयमा! अणंता चरित्तपज्जवा प० एवं जाव अहक्खायसंजयस्स // 38 सा०संजएणं भंते! सा०संजयस्स सट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं किं हीणे तुल्ले अब्भहिए?, गोयमा! सिय हीणे छट्ठाणवडिए, 39 सा०संजएणं भंते! छेदोवट्ठावणियसंजयस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं पुच्छा, गोयमा! सिय हीणे छट्ठाणवडिए, एवं परिहारविसुद्धियस्सवि, 40 सा०संजए णं भंते! सुहुमसं०संजयस्स परट्ठाणसन्नि० चरित्तपज्जवे पुच्छा, गोयमा! हीणे नो तुल्ले नो // 1518 //