________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1516 // 25 शतके उद्देशकः 7 सूत्रम् 787-788 सामायिकादेवेदादि पुलाकादि जहा नाणुद्देसए। 18 सा०संजए णं भंते! केवतियं सुयं अहिज्जेज्जा?, गोयमा! ज० अट्ठ पवयणमायाओ जहा क०कुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, 19 परिहारविसुद्धियसंजए पुच्छा, गोयमा! ज० नवमस्स पुव्वस्स ततियं आयारवत्थुउ० असंपुन्नाइंदस पुव्वाई अहिज्जेजा, सुहुमसंपरायसंजए जहा सा०संजए, 20 अहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा! ज० अट्ठपवयणमायाओ उ० चोद्दस पुव्वाई अहिज्जेज्जा सुयवतिरित्ते वा होज्जा 7 / 21 सासंजएणं भंते! किं तित्थे हो० अतित्थे होजा?, गोयमा! तित्थे वा होज्जा अतित्थे वा होज्जा जहा क कुसीले, छेदोवट्ठावणिए परिहारविसुद्धिए य जहा पुलाए, सेसा जहा सासंजए 8 / 22 सामाइयसंजए णं भंते किं सलिंगे होज्जा अन्नलिंगे होजा गिहिलिंगे होजा जहा पुलाए, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, 23 परिहारविसुद्धियसंजएणंभंते! किं पुच्छा, गोयमा! दव्वलिंगपि भावलिंगपि पडुच्च सलिंगे होज्जा नो अन्नलिंगे होज्जा नो गिहिलिंगे होज्जा, सेसा जहा सामाइयसंजए 9 / 24 सा०संजएणंभंते! कतिसु सरीरेसु होजा?, गोयमा! तिसुवा चउसुवा पंचसुवा जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, सेसा जहा पुलाए 10 / 25 सामाइयसंजए णं भंते! किं कम्मभूमीए होज्जा अकम्मभूमीए होज्जा?, गोयमा! जम्मणं संतिभावं च पडुच्च कम्मभूमीए नो अक० जहा बउसे, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धिए य जहा पुलाए, सेसा जहा सामाइयसंजए 11 // सूत्रम् 788 // - सामायिकसंयतोऽवेदकोऽपि भवेत्, नवमगुणस्थानकेहि वेदस्योपशमः क्षयोवा भवति,नवमगुणस्थानकंचयावत्सामायिकसंयतोऽपिव्यपदिश्यते, जहा कसायकुसीले त्तिसामायिकसंयतःसवेदस्त्रिवेदोऽपिस्यात्, अवेदस्तु क्षीणोपशान्तवेद इत्यर्थः। परिहारविसुद्धियसंजए जहा पुलागो त्ति पुरुषवेदो वा पुरुषनपुंसकवेदो वा स्यादित्यर्थः, सुहुमसंपराये त्यादौ जहा नियंठो त्ति क्षीणोपशान्तवेदत्वेनावेदक इत्यर्थः // 7 // एवमन्यान्यप्यतिदेशसूत्राण्यनन्तरोद्देशकानुसारेण स्वयमवगन्तव्यानीति // 8-9