________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1515 // 25 शतके उद्देशक:७ सूत्रम् 787-788 सामायिकादेवेदादि पुलाकादि कसायकुसीले तहेव निरवसेसं, एवं छेदोवट्ठावणियसंजएवि, परिहारविसुद्धियसंजओ जहा पुलाओ, सुहमसंपरायसंजओ अहक्खायसंजओ यजहा नियंठो 218 सामाइयसंजएणं भंते! किं सरागे होज्जा वीयरागे होजा?, गोयमा! सरागे होज्जा नो वीयरागे होजा, एवं सुहमसंपरायसंजए, अहक्खायसंजए जहा नियंठे ३॥९सामाइयसंजमेणं भंते! किं ठियकप्पे होज्जा अट्ठियकप्पे होजा?, गोयमा! ठियकप्पे वा होज्जा अट्ठियकप्पे वा होज्जा, 10 छेदोवट्ठावणियसंजए पुच्छा, गोयमा! ठियकप्पे होजा नो अट्ठियकप्पे होज्जा, एवं परिहारविसुद्धियसंजएवि, सेसा जहा सामाइयसंजए। 11 सामाइयसंजए णं भंते! किं जिणकप्पे होज्जा थेरकप्पे वा होज्जा कप्पातीते वा होजा?, गोयमा! जिणकप्पेवा हो० जहा कसायकुसीले तहेव निरवसेसं, छेदोवट्ठावणिओ परिहारविसुद्धिओ यजहा बउसो, सेसा जहा नियंठे 4 // सूत्रम् 787 // 12 सामाइयसंजएणं भंते! किं पुलाए होज्जा बउसे जाव सिणाए होजा?, गोयमा! पुलाए वा होज्जा बउसे जाव कसायकुसीले वा होजा नो नियंठे होजा नो सिणाए होजा, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, 13 परिहारविसुद्धियसंजएणं भंते! पुच्छा, गोयमा! नोपुलाए नो बउसे नो पडिसेवणाकुसीले होजाक कुसीले होजा नो नियंठे होज्जा नो सिणाए होजा, एवं सुहुमसंपराएवि, 14 अहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा! नो पुलाए होजा जाव नो क०कुसीले होज्जा नियंठे वा होजा सिणाए वा हो०५॥१५ सामाइयसंजएणं भंते! किं पडिसेवए हो० अपडिसेवए होजा?, गोयमा! पडि० वा होज्जा अपडि० वा होजा, जइ पडि० होजा किं मूलगुणपडि० होजा सेसं जहा पुलागस्स, जहा सामाइयसंजए एवं छेदोवट्ठावणिएवि, 16 परिहारविसुद्धियसंजए पुच्छा, गोयमा! नोपडिसेवए होजा अपडि० होज्जा एवं जाव अहक्खायसंजए६॥१७ सामाइयसंजएणं भंते! कतिसुनाणेसुहोजा?, गोयमा! दोसुवा तिसुवा चउसुवा नाणेसु होजा, एवं जहा कसायकुसीलस्सतहेव चत्तारि नाणाई भयणाए, एवंजाव सुहमसंपराए, अहक्खायसंजयस्स पंच नाणाई भयणाए // 1515 //