________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1495 // 25 शतके उद्देशकः६ सूत्रम् 765-768 पुलाकादेः पर्यवयोगकषायाः अह अब्भहिए अणंतभागमब्भहिए वा असंखेजइभागमब्भहिए वा संखेजभागमभहिए वा संखेजगुणमन्भहिए वा असंखेजगुणमन्भहिए वा अणंतगुणमन्भहिए वा // 74 पुलाए णं भंते! बउसस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपञ्जवेहिं किं हीणे तुल्ले अब्भहिए?, गोयमा! हीणे नो तुल्ले नो अब्भहिए, अणंतगुणहीणे, एवं पडिसेवणाकुसीलस्सवि, कसायकुसीलेणं समं छट्ठाणवडिए जहेव सट्ठाणे, नियंठस्स जहा बउसस्स, एवं सिणायस्सवि॥७५ बउसे णं भंते ! पुलागस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं किं हीणे तुल्ले अब्भहिए?, गोयमा! णो हीणे णो तुल्ले अब्भहिए अणंतगुणमब्भहिए। 76 बउसे णं भंते! बउसस्स स०सन्नि० च०पज्जवेहिं पुच्छा, गोयमा! सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए, जड़ हीणे छट्ठाणवडिए / 77 बउसे णं भंते! पडि कुसीलस्स पर०सन्नि० च०पज्जवेहिं किं हीणे.?, छट्ठाणवडिए, एवं क०कुसीलस्सवि // 78 बउसे णं भंते! नियंठस्स पर०सन्नि० च०पजेवहिं पुच्छा, गोयमा! हीणे णो तुल्ले णो अन्भहिए अणंतगुणहीणं, एवं सिणायस्सवि, पडि कुसीलस्स एवं चेव बउसवत्तव्वया भाणियव्वा, क०कुसीलस्स एस चेव बउसवत्तव्वया नवरं पुलाएणवि समंछट्ठाणवडिए।७९णियंठेणं भंते! पुलागस्स परट्ठाणसन्नि० चपनवेहिं पुच्छा, गोयमा! णो हीणे णोतुल्ले अन्भहिए अणंतगुणमन्भहिए, एवं जावक कुसीलस्स। 80 णियंठेणंभंते! णियंठस्स सट्ठाणसन्नि० पुच्छा, गोयमा! नो हीणे तुल्ले णो अब्भहिए, एवं सिणायस्सवि। 81 सिणाएणं भंते! पुलागस्स परट्ठाणसन्नि एवं जहा नियंठस्स वत्तव्वया तहा सिणायस्सविभा० जाव सिणाएणंभंते! सिणायस्स सट्ठाणसन्निगासेणंपुच्छा, गोयमा! णो हीणे तुल्लेणो अन्भहिए। 82 एएसिणंभंते! पुलागबकुसपडि कुसीलक०कुसीलनियंठसिणायाणं जहन्नुक्कोसगाणंचरित्तपज्जवाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा ! पुलागस्स क०कुसीलस्स य एएसि णं जहन्नगा चरित्तपञ्जवा दोण्हवि तुल्ला सव्वत्थोवा, पुलागस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अनंतगुणा, बउसस्स पडि कुसीलस्स य एएसिणं जहन्नगा च०पज्जवा दोण्हवि तुल्ला अणंतगुणा, बउसस्स उक्कोसगा // 1495 //